Book Title: Sramana 2010 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 258
________________ हिन्दी अनुवाद : उसके बाद खुश होकर उन दोनों ने समस्त दोषों को हरण करनेवाले सुधर्मसूरिजी के चरण कमलों में अत्यन्त विनयपूर्वक वन्दन किया। (कनकरथ तथा सुलोचनानी दीक्षा) गाहा : तत्तो संवेयकरिं गुरुणो सोऊण देसणं पवरं । पडिबुद्धाई दोनिवि कमेण पव्वाइयाइंति ।। २१५।। संस्कृत छाया : ततः संवेगकरीं गुरोः श्रुत्वा देशनां प्रवराम् । प्रतिबुद्धौ द्वावपि क्रमेण प्रवाजिताविति ।। २१५।। गुजराती अनुवाद : त्यारबाद संवेगकारक गुरुनी श्रेष्ठ देशना (उपदेश) सांगलीने वैराग्य पामेला ते बरे दिक्षित कराया। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद संवेगकारक गुरु की श्रेष्ठ देशना (उपदेश) सुनकर वैराग्य प्राप्त कर उन दोनों ने दीक्षा ग्रहण किया। गाहा :मयहरियाए पासे भगिणी-जुअलेण संजुया तत्तो। संजम-गुरु-विणय-रया सुलोयणा कुणइ विविह-तवं ।। २१६।। संस्कृत छाया : महत्तरायाः पावें भगिनीयुगलेन संयुता ततः । संयम-गुरु-विनय-रता सुलोचना करोति विविध तपः ।। २१६।। गुजराती अनुवाद : हवे पोतानी बने बहेनो साथे महत्तरा साध्वीनी पासे (निश्रामा) संयम तथा गुल विनयमांतत्पर रवी सुलोचना विविध तप करे छ। हिन्दी अनुवाद : अब अपनी दोनों बहनों के साथ महत्तरा साध्वी के पास (निश्रा में) संयम तथा गुरु विनय में तत्पर ऐसी सुलोचना विविध प्रकार के तप करती है। 599

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