Book Title: Sramana 2010 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
View full book text
________________
गाहा :
एवं चंदजसाए पय- मूले ताण अच्छमाणाणं । तिहंपि हु भगिणीणं वोलीणा वासरा बहवे । । २१७।।
संस्कृत छाया :
एवं चन्द्रयशायाः पादमूले तासामासीनानाम् । तिसृणामपि खलु भगिनीनां गता वासरा बहवः ।। २१७ ।।
गुजराती अनुवाद :
आ प्रमाणे चंद्रयशा साध्वीजीनां चरण-कमलमां रहेली ते त्रणे बहेनोना घणा दिवस पसार थया ।
हिन्दी अनुवाद :
इस प्रकार चन्द्रयशा साध्वी के चरण कमलों में रहती हुई उन तीनों बहनों के बहुत दिन व्यतीत हो गए ।
( मुनि कनकरथ तथा मुनि धनवाहनने बहु स्नेह )
गाहा :
मुणिणो कणगरहस्स उ धणवाहण - साहुणो य संजाओ । भो चित्तवेग! तइया अन्नोन्नं गरुय - नेहोत्ति ।। २१८।। संस्कृत छाया :
मुनेः कनकरथस्य तु धनवाहनसाधोश्च सञ्जातः ।
भोः चित्रवेग ! तदाऽन्योन्यं गुरुकस्नेह इति ।। २१८ ।।
गुजराती अनुवाद :
हे चित्रवेग ! पछी कनकरथ मुनि तथा धनवाहन मुनिनो परस्पर बहु ज स्नेह थयो ।
हिन्दी अनुवाद :
हे चित्रवेग! उसके बाद कनकरथ मुनि तथा धनवाहन मुनि का परस्पर बहुत
स्नेह हुआ।
गाहा :
पंच- महव्वय - जुत्ता समिई - गुत्ती सम्ममुवत्ता ।
नाणाविहं तव - निरया गिण्हंति य सुत्त - अत्थाइं ।। २१९ ।।
-
600

Page Navigation
1 ... 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272