Book Title: Snatrapooja
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ विधि सामान्य प्रकारे लखी छे. परंतु ज्यां नाडाछडी लखी छे त्यां उत्तम वस्त्रोनो उपयोग करे वा उत्तम उत्तम द्रव्यनो उपयोग शक्ति प्रमाणे करे तो ते उत्तम छे. " अथ जैनाचार्य बुद्धिसागर सूरिकृत " अथ स्नात्रपूजा प्रारंभः दुहा. सर्वातिशये शोभता, प्रभु महावीर जिनेश, शासन नायक जगपति, प्रणमुं हुं विश्वेश. ॥१॥ प्रभु स्नात्रनी नावना-, करतां शान्ति थाय; रोग शोक दूरे टले, स्नात्रपूजा महिमाय. ॥ २॥ कुसुमांजलि ढाळ. ऋषभदेव पूजा. आठजाति कलशे न्हवरावे, इन्द्रो मनमा आनन्द पावे; प्रनु पूजा समकित प्रगटावे, प्रभु जाणी प्रभुने दिल लावे; कुसुमांजलिथी ऋषभ पूजीजे, ग्रहो प्रभुगुण मन रीझोजे. ॥ १ ॥ (फूल चढावq.) For Private And Personal Use Only

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