Book Title: Snatrapooja
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० रती, रक्षा करती चारे; चार दोपकने धारे प्रेमे, निज आतमने तारे. ॥२॥ कदलीनां घर करी मनोहर, बाल प्रजुनं लावे; पवित्र कर्मने करवा माटे, जल कलशे न्हवरावे; जलपुष्पे आभरणे पूजी, प्रभु शरीर शणगारे; प्रभुना करमा राखडी बांधी, (वधावी नाडाबडी मूकवी; ) जय जय शब्दोच्चारे. ॥३॥ माता पासे प्रभुने भूकी, निज निज स्थानक जावे, इंद्रासन ते वखते कंपे, महापुण्य सद्भावे; अवधि ज्ञाने इंद्रे जाण्यो, प्रभुजन्म सुखकारी; सुघोषा आदि घंटाओ, वगडावे जयकारी. ॥ ४ ॥ पालक नाम विमानमां बेसी, इन्द्र बहु परिवारे; अन्य वि. मानने वाहन बेसी, निज ऋद्धि अनुसारे; अन्य सुरोने देवीओ आवे, प्रभुने देखी वंदे; प्रभु अने प्रभु मात वधावी, इंद्र वदे गुण छंदे. ॥५॥ (फूल तथा केसरवाळाचो वायी वधाववा.) जय जय माता जगमां जय जय, जय जय शब्दो बोले; त्हारो बालक जगतीर्थकर, को नहि तेना तोले प्रतिबिंब मातानी पासे, मूकी प्रभु कर लीधार पंचरूप इंद्रे For Private And Personal Use Only

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