Book Title: Snatrapooja
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३ नगर पुरदेशमा शांति, वर्तो प्रभुप्रतापे; आधि व्याधि संकट टळतां, प्रभु महावीरजापे. ॥ १५ ॥ सर्व जात्मा शान्ति वतों, धर्मी बनो नरनारी, दोषो क्षय पामो भक्तिथी. जनो बनो नपकारी; झघडा युद्धो उपशम थाओ, वृष्टि थशो मनमानी; पुण्यकर्म वधशो जगमांहि, वधशो शक्ति मझानी. ॥ १६ ॥ तपगच्चहीरविजयसूरिजगगुरु,-पट्टपरंपराधारी; पूज्यगुरुर विसागर प्रगट्या, सर्वोपमजयकारी; शान्तिदायकसुखसागरगुरु, घरघरमंगलकारी; बुद्धिसागरसूरि आशो, शान्ति लहो नरनारी ॥ १७ ॥ फूल तथा केशरवाळा चोखाथ प्रभुने वधाववा. पनी सिंहासनमाथी प्रभुजी तथा सिद्धचक्रजीने लइ चोखा पाणीथी पखाळ करी त्रण अंगलुहणां करी केशर (चंदन)थी पूजा करी फूल चढाववां अने सिंहासन मध्येनी रकेबीमांधी पाणी काढी नांखी धोइ साफ करी फरी केशरना स्वस्तिक करी पधरा ववा. आरती मंगळदोवो प्रगटावी बन्ने नामाछडी For Private And Personal Use Only

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