Book Title: Snatrapooja
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बांधी एक रकेवीमा मूकी कंकुना बाटा नाखी चौ. खाथी वधाववा, रकेवीमां सोपारी तथा एक पैसो मूकी रकेबो वच्चे राखो स्नात्रियाने सन्मुख बेसामवो. रकेवीनी एक बाजु सात माटोनी कांकरी तथा सात मीठानी कांकरो लइ एक मीगनी कांकरी अने एक माटीनी कांकरी ए रोते दरेक ढगलीमा मूको सात ढगलीओ करवो. पनी बीजी तरफ जळनी कुंडी राखवी. स्नात्रियाने उजापगे बेसाडो डाबा हाथ उपर जमणो हाथ रखावी विधि नणावनार माणल स्नात्रियाना हाथमां दरेक वखते एक मीगनी अने एक माटीनी कांकरी यापी ते साथे हथेलीमां चोखा पाणीना कलशमांथो थोडं पाणी आपे अने आरती मंगल दीवानी रकेबी फरतुं खूण उतरावे. तेनी विगत. बुण उतारो जिनवर अंगे, निर्मल जलधारा मनरंगे. ॥ लुण ॥ १ ॥ जिम जिम तडतम लुण ज फूटे, तिमतिम अशुभ कर्म बंध त्रुटे. ॥ लुण ॥२॥ नयन सलुणां श्री जिनजिनां, अनुपमरूपदयारस For Private And Personal Use Only

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