Book Title: Snatrapooja
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ वजावे, अनेक नाच नाचे, प्रभुनो जन्मोत्सव करीने, सर्व सुरासुर राचे, करमां धारण करीने प्रभुने, त्रिशला माता पासे, इन्द्रादिक यावीने बोले, पूरण हर्षोल्लासे ॥११॥ पुत्र तमाशे प्रभु अमारो सर्व विश्व आधार; तुज कुखे प्रभु जन्म्यामाटे, विश्वमात निर्धार; पंच धाव सोंप प्रभु क्रीडा, -करवा माटे बेश; बत्रीश कोटि रत्नादिकनी; वृष्टि करे हरे क्लेश. ॥१२॥ ( फूल केशवाळा चोखा, नाडाबनी विगरे प्रभु सन्मुख उबाळं.) इंद्रादिक प्रभु वांदि पूजो, नन्दीश्वरमां जावे; अष्टान्हिकामहोत्सव करीने, आनंद मंगल पावे; निज निज कल्प सधावे सुरवर, दीक्षोत्सव अनिलाषे; केवलज्ञान महोत्सव इच्छा, राखी हर्ष विकासे. ||१३|| प्रभु जन्मोत्सव जारतदेशे, भक्ते कीधो जावे; घर घर आनंद मंगल वर्तो, स्नात्र महोत्सवदावे; सकल संघां शांति वर्तो, इति उपद्रव शामो; स्नात्र महोत्सव सुणनाराने, गानारा सुख पामो. ॥ १४ ॥ परब्रह्ममहावीरप्रतापे, रोग टळो सहुजाति; दुष्ट देवना टळो उपद्रव, व्हेम टळो बहुजाति; गाम For Private And Personal Use Only

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