Book Title: Snatrapooja
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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सिंहासन पासे राखवो. ज्यां वस्त्र चडाववानां आवे त्यां नाडाछडीनो ककडो मूकवो, फूलनी अबत होय त्यां केशरवाळा चोखानो उपयोग करवो. स्नात्र जणाववावाळो माणस हाथमा फूल लइने उभो रहे अने विधिभणावनार माणस विधि शरु करे. कुसुमांजलि बोली ‘फूल चढावयूँ'विधि भणावनार माणत कुसुमांजलि चढाववानुं कहे त्यारे भगवान्ने कुसुमांजलि चढाववी. सात वखत कुसुमांजलि चढावी रह्या पछी स्नात्रीयो हाथ जोडीने ऊभो रहे अने विधि नणावनार विधि बोल्ये जाय, ज्यारे 'शुभ लग्ने जन्म्या प्रभु' ए दुहो पूरो थाय त्यारे स्नात्रियो त्रण खमासमण देइ चैत्यवंदननी विधि प्रमाणे चैत्यवंदनं करे ने जयवीयरायनो पाठ ‘आभव मखंडा' सुधो कही हायमां कळश लेइने उभो रहे ने विधि नणावनार ज्यारे 'सौधर्मेन्द्रे पंच रूप करी ए पद पूलं बोली रहे त्यारे जळनो प्रभुने अनिषेक करे. पछी ते ढाळ पूरी थया पछी भगवान ने सिंहासनमांथी बहार लइ चोखा पाणीथी न्हवण करावी अंगलूहणां त्रण करी चन्दन प्रजा करे. पछी आरति मंगल दीयो करवो.
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