Book Title: Snatrapooja
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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वांडे गावं ध्यावं, आतम जे अजवाले जी ॥१॥ जन्मोत्सव कल्याणक उजवे, इन्द्रादिक बहुभावे जी; जन्मकाले तीर्थकर सहुने, मेरुपर लेइ जावेजी; सर्वजातिकलशा अभिषेके, प्रेमे प्रभु न्हवररावेजी. एवा अरिहंत त्रण कालना, पूजीजे एकभावेजो ॥२॥
(फूल चढावq ) आतम भक्ति मल्या केइ देवा. ए राग, त्रीजेनव तीर्थकरकर्मने, बांध्यु वीरे भावे, द्रव्यभाववरथानकतपथी, प्रशस्यरागनादावे, सर्वजीवोने धर्मी बनावं, सर्वविश्व उद्धालं, रहे न जगमां कोई दुःखी, सर्वजीवोने तार. ॥१॥ शुभ उत्कृष्टा हर्षोल्लासे, जिनवरनामने बांधे, अनन्त पुण्य ग्रहीने प्रभुजी, सकल जीव हित साधे, मानव आयुः पूर्ण करीने, दशमास्वर्गमां जावे, पुष्पोत्तर वैमानिक सुरवर, स्वर्गतणां सुख पावे. ॥२॥ त्यांथो चवीने दक्षिणतरते, क्षत्रिकुंडपुरमाहे, त्रिशलाराणी कुखमां आव्या, ज्ञातकुले उत्साहे, त्रिशलामाता स्वप्नो देखी, आनंद अतिशय पावे, नारतने उद्धरवा प्रगट्या, प्रचुजो शक्ति प्रत्नावे ॥३॥ हाथी
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