Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta
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इववाद न होने. ते देखी बीजा साधुए पण एम धार्यु के, थावा हवी दुराग्रहीनी साथे वाद करवो ते शुष्कवाद बे. एम जाणी उपेक्षा करवा लाग्या तेथी निखुनजीने फावतुं श्रायुं. एटले जाण पुरुष तो उपेक्षा करवा लाग्या छाने अजाण पुरुषोने निखुनजीनी अलौकीक अनहद एकान्तीक बुद्धिए मोह पमामी कबजे करवा मांख्या. इत्यादिक कारणयोगे मतनो प्रसार थवा लाग्यो.
वे ए मतनो मंतव्य सांजलो ! मूल तो दया छाने दान बे रकमोनो फेरफार कर्यो. दवे जेम कोइ चोपमामांधी एक बे रकमनो फेरफार करवा चाहे त्यारे तेने बीजी पण घणी रकमोनो फेरफार करवोज पके. ए स्वाभाविकज बे. तेम निखुनजीए पण ज्यारे दया- दानरूप बे रकममां फेरफार कर्यो त्यारे तेमने तेने लगती एवी बीजी पण घणी रकमोनो फेरफार करवो पढ्यो. ते नीचे प्रमाणेः
श्री दया जगवती विषे...
१ श्रमण ज्ञातपुत्र मादावीरदेवे अनुकंपा आणी गोशालाने: बचाव्यो तेथी तेमने चुक्या केहेवा पड्या.
२ साधुजीने कोइ दृष्ट फांसी दइ गयो बे एवामां कोइ दयावंते देखी फांसी खोली साधुने जीवीत दीधुं, तेने एकान्त पाप लाग्युं, तेम केहेतुं पयुं.
३. कोइ अनुकंपा प्राणी कोइ जोवन । मरणना जयथे। रक्षा करे अर्थात पुन्य जाणी बचावे तो तेने अढार पाप लागे एम केहेतुं पयुं.
४. गायोथी वामो जय बे, एवामां अकस्मातयी अथवा कोइ sष्टे लाहे लगामी तेथी गायो बली जाय, ते देखी कोइ दयावंत वाको खोजी गायो बाहार काढी बचावे लेने... एकान्त पाप लाग्यं एम केदेवं पमयु.

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