Book Title: Siddha Hemchandrashabdanu Shasanam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious

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Page 318
________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् ३१३ शपभरद्वाजादात्रेये ।६।१।५०॥ शब्दनिष्कघोषभि० ३।२।९८॥ शब्दादेः कृतौ वा ३।४।३५॥ शमष्टकात्-ग् ।५।२।४९॥ शमोऽदर्शने ।४।२।२८॥ शमो नाम्न्यः ।५।११३४॥ शम्या रुरौ ७।३।४८॥ शम्या ल: ।६।२।३४॥ शम्सप्तकस्य श्ये ।४।२।१११॥ शयवासिवासे-त् ।३।२।२५।। शरदः श्राद्धे कर्मणि ।६।३।८१॥ शरदर्भकूदी-जात् ।६।२॥४७॥ शरदादेः ७।३।९२॥ शकरादेरण 1७191११८॥ शकराया इक-च १६२७८|| शलालूनो वा ६४५६॥ शषसे श-वा ॥१३॥६॥ शसोता-सि 19।४।४९॥ शसो नः ।२।११७॥ शस्त्रजीवि-वा ७३२६२॥ शाकटशा-वे 1७191७८॥ शाकलादकञ् च ।६।३।१७३॥ शाकीप- ७॥२॥३०॥ शाखादेर्यः ७191११४॥ शाणात् ।६।४।१४६॥ | शान्दान्मान्बधा-तः ।३।४।७॥ | शापे व्याप्यात् ।५।४।५२॥ शाब्दिकदार्द-कम् ।६।४।४५।। शालङ्क्यौदिषा-लि ।६।१।३७॥ शालीनको-नम् ।६।४।१८५॥ शाससहन:-हि ।४।२।८४॥ शासूयुधिदृशि-नः ।५।३।१४१॥ शास्त्यसूवक्ति-रङ् ।३।४।६०॥ शिक्षादेवाण ।६।३।१४८॥ | शिखादिभ्य इन् ।७।२।४॥ शिखायाः ।६।२।७६॥ शिटः प्रथ-स्य ।।३।३५।। शिट्यघोषात् 19३।५५॥ शिट्याधस्य द्विती० ११३५९॥ शिड्ढेऽनुस्वारः ।।३।४०॥ शिदवित् ।४।३।२०॥ शिरसः शीर्षन् ।३।२।१०१॥ शिरीषादिककणौ ।६।२७७॥ शिरोऽधसः-क्ये २३४॥ शिघुट् 1919॥२८॥ शिलाया एयच १७१११३॥ शिगलिपा-त्रे ६३१८९॥ शिल्पम् ।६।४।५७॥

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