Book Title: Siddha Chakra Mandal Vidhan Pooja Author(s): Santlal Pandit Publisher: Shailesh Dahyabhai Kapadia View full book textPage 7
________________ [६] तिलक पात्रेऽर्पितं चन्दनमोषधीशं शुभ्रं सुगन्धाहृतचञ्चरीकं । स्थाने नवांके तिलकाय चर्च्य न केवलं देहविकारहेतोः॥ शिखा, ललाट, कंठ, हृदय, कान, भुजा, काँख, हाथ एवं नाभि इस प्रकार नव तिलक करते समय यह मन्त्र पढ़े- ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं हः अ सि आ उ सा म म सर्वाङ्गशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा। रक्षा बन्धन सम्यक् पिनद्धनवनिर्मलरलपंक्तिरीचबूंहद्वलयजातंबहुप्रकारं । कल्याणनिर्मितमहं कटकं जिनेशपूजाविधानललिते स्वकरे करोमि॥ ॐ हीं णमो अरहन्ताणं रक्ष रक्ष स्वाहा इति कंकणं अवधारयामि। यज्ञोपवीत धारण पूर्व पवित्रतरसूत्रविनिर्मितं यत् प्रीतः प्रजापतिरकल्पयदंगसंगि। सदभूषणं जिनमहे निजकंठधार्य यज्ञोपवीतमहमेष तदाऽतनोमि॥ ॐ नमः परमशान्ताय शान्तिकराय पवित्रीकृतायाह रत्नत्रयस्वरूपं यज्ञोपवीतं दधामि मम गात्रं पवित्रं भवतु अहँ नमः स्वाहा। मुद्रिका धारण प्रोत्फुल्लनीलकुलिशोत्पलपद्मरागनिर्जत्करप्रकरबन्धसुरेन्द्रचाप। जैनाभिषेकसमयेऽगुलिपर्वमूले रत्नांगुलीयकमहं विनिवेशयामि॥ ॐ ह्रीं रत्नमुद्रिकां अवधारयामि स्वाहा। मुकुट धारण . पुन्नागचंपकयोरुहकिं करातजातिप्रसूननवकेशरकुन्दमाद्यम्। देव! त्वदीयपदपंकजसत्प्रसादात् मूनि प्रणामवति शेखरकंदधेऽहम्॥ ॐ ह्रीं मुकुट अवधारयामि स्वाहा।Page Navigation
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