Book Title: Siddha Chakra Mandal Vidhan Pooja Author(s): Santlal Pandit Publisher: Shailesh Dahyabhai Kapadia View full book textPage 5
________________ [ ४ ] एक पुड़िया, थोड़ा-थोड़ा मेवा, थोड़ी-सी दूब डालकर एक-एक नारियलको लाल कपड़ेसे लपेट कर चारों कलशों पर रख देना चाहिये, फिर कलावे (मौली) से एक कलशको दूसरे कलशसे, दूसरे को तीसरे से एवं तीसरेको चौथे तक तीन बार लपेट देना चाहिये यानी फेरा लगा कर बाँध दे । बीचमें “ ॐ” बनाकर उस पर चौकी रक्खे, चौकी पर सिंहासन रख कर "सिद्ध - यन्त्र" की स्थापना करे और ऊपर में छत्र लगावे । भगवानको उत्तर या पूर्व दिशामें बिराजमान करे। आगे में एक स्थापना (ठोना) रखकर बगलमें एक कलश रक्खें। वेदीके पासमें अखण्ड दीपक जलावे, उसकी ज्योति पाठकी समाप्ति तक रहे (अर्थात् दीपक हमेशा प्रज्वलित रहे ) । दीपक जलाते समय मन्त्र पढ़े- “ ॐ ह्रीं अज्ञान तिमिर हरं दीपकं संस्थापयामि।” वेदी पर शास्त्रजी और अष्ट मङ्गल द्रव्य रक्खे | जप की विधि जप कमसे कम ८००० हों। अगर कोई करना चाहे तो १ लाख करना चाहिये । इसमें १० या ११ आदमी जप करें तो उत्तम है। जप करनेवालेको ब्रह्मचर्यसे रहना चाहिये-साथ ही मर्यादित भोजन करना चाहिए एवं तख्त या जमीन पर सोना चाहिये । जप शाम - सुबह दोनों समय कर सकते हैं। जप करनेवाले की केशरिया धोती, दुपट्टा या बनियान प्रतिदिन की धुली होनी चाहिये । जप करनेवालोंके बैठनेके लिये एक-एक आसन हों तथा उनके आगे आगे एक-एक पाटा हो । प्रत्येक पाटे पर घृतका दीपक जलता रहे और एक-एक धूपदान व एक-एक सूतकी माला ( जिसके द्वारा मन्त्र जपा जाय) रक्खे रहें । पाटे पर लौंग गिन कर रख ले। १ माला पूर्ण होने पर १ लौंग अग्निमें डाल दे तथा जब उठे तब एक कापीमें लिख दे, ताकि मन्त्रकी गणनामें भूल न पड़े।Page Navigation
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