Book Title: Shrutsagar 2017 05 Volume 04 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर
जून-२०१७ तिहां लोक आवै अति कौतुकी, देखता अचिरज थाय रे, लाला विस्तरी वात घणी तिहां, लोक सह कोई यश गाय रे ॥६॥ श्री रूपपुर... श्रीपासकुमर ते सांभली, पुहता तापसनै पास रे, लाला जिन अवधिज्ञानै जोयनै, कहै कमठ प्रति उलास रे ॥७॥ श्री रूपपुर...
ढाल-रासीयानी रे रे कमठ तुं नवि जाणै कांइ, तुं अज्ञानी रे एह रे भोला, जीव हणे नवि जाणै मन माहिं, नहीं ए माहिं संदेह रे भोला
॥१॥ जगगुरु जीवन पास जिणेसरू, कहै सेवकनै रे सार रे भोला, काढु लाकड जे ए अध बल्युं, न करो चीरंता वार रे भोला
॥२॥ लाकड चीरु तेहवै नीकल्यो, बलतो उछलतो साप रे भोला, श्रीनवकार सुणाव्यो तेहने, छूटो पापनो ताप रे
जगगुरू... ॥३॥ मरण लही धरणेध(द)र ते थयो, कोप्या लोक अपार रे भोला, कमठ हठी कूटीने काढीयो, वाध्यो जिनयश सार रे जगगुरू... ॥४॥ पास जिणेसर दीक्षा आदरी, उभा वडलाने मूळ रे भोला, कमठ हठी देखी जिन कोपीउ, करइ उपसर्गो प्रतिकूल रे जगगुरु... ॥५॥ घटा ऊमटी मेघ तणी घणी, काली काजलवान रे भोला, वीज जबूक टबूक धडुकतो, गाजै गयण असमान रे जगगुरु... ॥६॥ जिन नासा ताइ जल आवीयुं, कांप्यु आसन ताम रे भोला, त्यां धरणधर आव्यो ततखिणि, खंधइ आरोप्या स्वामि(म) रे जगगुरु... ॥७।। अवधिं धरणीध(द)र जांणी करी, तेडी कहि सुणि सठ रे, प्रभु पाये लगाड्यो प्रेमस्युं, समकित लहै तिहां कमठ रे जगगुरु... ॥८॥
ढाल-३ कनक कमल पगलां ठवै ए एहनी जिनवर केवल पामीयु ए, समोसरण रचै देव, नमो जिनरायनै ए;
आवे असुर-नर-देवता ए, करइ जिनरायनी सेव, नमो जिनरायनै ए ॥१॥ भविक लोकनै बुझवै ए, आपइ आपइ समकित शील, नमो जिनरायनै ए; करम खपावी प्राणीया ए, पामै पामै अविचल लील, नमो जिनरायनै ए ॥२॥ सेवंता सुख संपजें ए, लहै लहै लक्ष्मीकल्लोल, नमो जिनरायनै ए; पूजंता जिन भावस्युं ए, दिन दिन हुइ रंगरोल, नमो जिनरायनै ए
॥३॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36