Book Title: Shrutsagar 2017 04 Volume 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्राचीन प्रतिमानो एक महत्वपूर्ण लेख Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणि सुयशचंद्रविजयजी [श्रुतसागर वर्ष-३ अंक-९मां 'पींडवाडा धातु प्रतिमानां अप्रगट लेखो' (पत्रांक१०-१२) आ लेख संबंधी चित्रो भूलथी मुखपृष्ठ पर अपायेल, जे प्रतिमाचित्रो हकीकतमां आ लेखने संलग्न छे, जे पाछळथी जाण थतां आ अंकमां ते मूर्तिसंबद्ध लेख अहीं आपवामां आवे छे. तो वाचकोने अनुरोध छे के आ लेखने सुधारीने वांचवं. आ क्षति तरफ ध्यान दोरवा माटे बदल अमो गणिवर्यश्री सुयशचंद्रविजयजीनां आभारी छीए तथा आ क्षति माटे अमो क्षमाप्रार्थी छीए. धन्यवाद. - संपादक ] हमणां थोडां समय पूर्वे एक मित्रे प्रश्न कर्यो के शिलालेखोमांथी कोई विशेष नोंध क ऐतिहासिक सामग्री जेवु कशुं मळे खरुं? त्यारे तो में तेने संतोष थाय तेवां थोडा शिलालेखो परथी तेने ते अंगे समजाव्यं हतुं. आजे एवां ज एक अप्रगट शिलालेखनां माध्यमे वाचकोनुं ते बाबते ध्यान दोरीश आशा छे वाचकोने गम.. शिलालेखो, प्रतिमालेखो के प्रशस्तिओ आ बधी ज सामग्री इतिहासने जोडती एक बहुमूल्य कडी छे. जुदा-जुदा काळमां, जुदी - जुदी शैलीमां, आरस, पाषाण के धातु विगेरेथी बनावायेली ते प्रतिमा क्या श्रावके भरावी? कई सालमां भरावी? क्या गच्छनां, कई शाखानां, क्या गुरुभगवंत पासे भरावी? तेमनी गुरु के शिष्यपरंपरामां कोई, कोण थयां? प्रतिमा भरावनार श्रावकनो अन्य परिवार केटलो हतो? वळी, ते श्रावक कई ज्ञातिनो, क्या वंशनो हतो? तेनुं गोत्र विगेरे शुं हतुं ? प्रतिमाजीनी स्थापना कोनी स्मृति माटे के पुण्यादि माटे थई हती? क्या गाममां, क्या जिनालयमां ते बिराजमान कराई हती आवी घणी सामग्री वांचवा मळे. पूर्वेनां काळमां वि.सं. ११मी पूर्वेनां लेखो घणुं करी ओछी विगतवाळां हतां. पण | काळक्रमे नवी नवी विगतो उमेराता ते लेखो उपरोक्त सामग्रीथी समृद्ध थयां. पू. रमणिकविजयजी, पं. कांतिसागरजी, विद्याविजयजी, जयंतविजयजी. | जेवां घणां दिग्गज विद्वानोए आवां लेखो पर काम समपात कर्तुं छे. वधु जाणवां इच्छतां जिज्ञासुए उपरोक्त मिनी विद्वानोनां पुस्तको जोवां. उपरोक्त प्रस्तुत चित्रमां For Private and Personal Use Only

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