Book Title: Shrutsagar 2017 04 Volume 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ऋषभपंचाशिका ब्राह्मी लिपिमां एक प्रयास Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किरीट के. शाह. ब्राह्मीलिपिने उजागर करवा माटे श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र कोबा, आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर द्वारा श्रुतसागर मेगेझिन दर महिने नियमित प्रकाशित थाय छे, तेनां ओक्टोम्बर २०१६मां श्री आदिनाथ वंदना शीर्षकथी कवि श्री धनपालकृत ‘ते धन्ना जेहिं दिट्ठो सि' जेनी २१ गाथा प्राकृत भाषामा छे अने देवनागरी लिपिनी जग्याए ब्राह्मी लिपिमां गाथाबद्ध करी. ते छपाई गयुं ते पछी कवि श्री धनपालनी बीजी कृति 'ऋषभपंचाशिका' नी ५० गाथाने ब्राह्मी लिपिमां गाथाबद्ध करी, जे परम पूज्य आ. श्री पद्मसागरसूरिजी म.सा.नां कृपापात्र परम पूज्य आचार्य श्री अजयसागरसूरिजीनी प्रेरणाथी श्रुतसागर मासिकनां माध्यमथी वाचकवर्गनां करकमलोमां प्रस्तुत छे. अगाउ पण जणावी चुक्यो छु के हुं कोई लिपि विशेषज्ञ नथी के नथी विद्वद्भोग्य साहित्य रची शकुं तेवो सक्षम अने नथी ब्राह्मी लिपिनां पुरातन शिलालेखो उकेली शकुं तेवी कुशळता धरावनार. परंतु पूर्वे विद्वानोए ब्राह्मी लिपिनां छेल्ले मूळाक्षरोनां मरोड-आकार नक्की कर्यां, ते मुजब कोम्प्युटर द्वारा कक्को - बाराक्षरी तैयार कराव्यां अने ते मुजब कोई पण भाषानां काव्यो, स्तोत्रो के कथानको आलेखाय तो ब्राह्मी लिपि लुप्त थवामां छे तेने कंईक अंशे आवती पेढी माटे टकावी शकाशे, तेवां आशयथी कोम्प्युटरनां माध्यमथी भारत देशनी सौथी प्राचीन एटले के ई.स. त्रीजी सदी पूर्वेनी अने लिपिओनी जननी ब्राह्मी लिपिमां प्राकृत भाषानी कृतिओ मुद्रित करवानो प्रयत्न कर्यो छे. घणी व्यक्तिओने आ प्रयत्न निरर्थक लाग्यो छे अने लागे तेनां पण कारणो तेओ पासे हशे, परंतु मारो तो एकज आशय छे के जैन जगतमां अवतरेल युगादिदेव श्री ऋषभदेव द्वारा प्रदत्त अने ब्राह्मी द्वारा झीलायेल आ ब्राह्मी लिपिने प्रकाशमां लाववानो एक मात्र आशय छे. आ कार्यनां प्रयत्नमां मार्गदर्शन तेमज प्रुफरिडींग करी आपनार पू. आ. श्री शीलचंद्रसूरिजीनां शिष्यरत्न पू. श्री कल्याणकीर्तिविजयजी म.सा. तेमज प.पू. आ. श्री ॐकारसूरिजी समुदायनां पू. आ. श्री मुनिचंद्रसूरिजीनी सूचनाथी तेमनां ज समुदायनां ज्ञानपिपासु साध्वीजी श्री समर्पण श्रीजी म.सा. सहायक थयां छे तेओनो For Private and Personal Use Only

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