Book Title: Shrimali Vansh no Itihas ane Bhinmal Tirth Part 1 ane 2 Author(s): Vardhamansagar Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba View full book textPage 4
________________ विश्व वंदनीय श्रमण भगवान महावीर प्रभु के शासन की प्राचीनतम जैन ज्ञाति श्री वीसा श्रीमाली लोगों की है । महान् शासन प्रभावक आचार्य देव श्री स्वयंप्रभसूरीश्वरजी म. सा. के परमोपदेश द्वारा भीनमाल (श्रीमाल ) नगरी में ( राजस्थान) जैन धर्मानुरागी बने । जिन शासन की अनेक प्रभावना पूर्ण कार्य इस ज्ञाति जनोंके द्वारा हुई है । जिन मंदिरों के निर्माण में भी इस ज्ञाति का बहुत बडा योगदान रहा है । आगम ग्रंथों के लेखन कार्य में भी इन्होंने अपनी श्रुत भक्ति एवं उदाहरता का परिचय दिया है। राजकीय सामाजिक एवं व्यापार के क्षेत्र में भी इस ज्ञाति ने अपने साहस एवं बुद्धिमत्ता का सुंदर परिचय दिया है । - - दो शब्द - इस पुस्तक में पं. श्री वर्धनाम सागरजीने संक्षिप्त में व सुंदर सरल भाषामें इस ज्ञाति के इतिहास की झलक बताने का प्रयास किया है, जो प्रशंसनीय है । इस पुस्तक के पठन द्वारा धर्मकार्य परोपरकार के कार्यकी प्रेरणा लोगोंको मिले यही मंगल कामना मैं करता हूँ | Jain Educationa International आ. पद्मसागरसूरी For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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