Book Title: Shraman Mahavira
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ वे आलोच्य के रूप में ही अभिलिखित हैं पर जैन साहित्य की प्रशस्ति और बौद्ध साहित्य की आलोचना-दोनों के आलोक में भगवान् की यथार्थ प्रतिमा उभरती है। मैंने उक्त ग्रन्थों के आधार पर भगवान् के जीवन-वृत्त का चयन किया । उसके गुम्फन और विकास में मैंने कवि-कल्पना का भी उपयोग किया है। रोग, बुढ़ापा और मृत्यु-ये तीनों संसार-विरक्ति की प्रधान प्रेरणाएं हैं। भगवान् बुद्ध इन्हीं से प्रेरित होकर भिक्षु बने, यह माना जाता है। किन्तु प्राचीन साहित्य की प्रकृति के पर्यालोचन के आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि इसमें तथ्य या घटना की अपेक्षा कवि-कल्पना की गुरुता अधिक है। यह तथ्य है या नहीं-यह अनुसन्धेय हो सकता है किन्तु यह सत्य है, इसमें कोई संदेह नहीं । बहुत बार कवि या लेखक सत्य को तथ्य के रूप में प्रस्तुत करता है । जीवन सत्य की शाश्वत धारा से अविच्छिन्न होकर प्रवाहित होता है, अतः सत्य को तथ्य के रूप में अभिव्यक्त करना असंगत भी नहीं है । भगवान् महावीर दीक्षित क्यों हुए ? इस प्रश्न का उत्तर सत्य को तथ्य के रूप में प्रस्तुत कर सरलता से दिया जा सकता है और मैंने दिया है। भगवान के जीवन का उद्देश्य था स्वतंत्रता। जिस व्यक्ति की साधना का समग्र रूप स्वतंत्रता है, उसका उद्देश्य उससे भिन्न कैसे हो सकता है ? जैन परम्परा में संबुद्ध की तीन कोटियां मिलती हैं१. स्वयंसंबुद्ध-अपने आप संबोधि प्राप्त करने वाला। २. प्रत्येकबुद्ध-किसी एक निमित्त से संबोधि प्राप्त करने वाला। ३. उपदेशबुद्ध-दूसरों के उपदेश से संबोधि प्राप्त करने वाला। तीर्थंकर स्वयंसंबुद्ध होते हैं। भगवान् महावीर स्वयंसंबुद्ध थे। उन्हें अपने आप संबोधि प्राप्त हुई थी। उसके आधार पर उन्होंने विश्व के स्वरूप की समीक्षा और दार्शनिक विचारों की मीमांसा की। मुक्ति का लक्ष्य निश्चित किया। साधन के रूप में उन्होंने बाहरी और भीतरी दोनों बंधनों से मुक्त रहना स्वीकार किया। इस संदर्भ में उन्होंने शासन को बंधन के रूप में देखा और शासन-मुक्त जीवन की दिशा में प्रयाण किया। जैन आगम सूत्र-शैली में लिखे हुए हैं । 'आयारो' के नवें अध्ययन में भगवान् महावीर के साधनाकालीन जीवन का बहुत ही व्यवस्थित निरूपण है। पर सूत्रशैली में होने के कारण वह बहुत दुर्गम है। 'आयारो की चूणि में चूर्णिकार ने उन संकेतों को थोड़ा स्पष्ट किया है, फिर भी घटना का पूरा विवरण नहीं मिलता। मैंने उन संकेतों के आधार पर घटना का विस्तार किया है। उससे भगवान् के जीवन की अज्ञात दिशाएं प्रकाश में आई हैं । साधना के अनेक नए रहस्य उद्घाटित हुए हैं। .. बौद्ध साहित्य में भगवान् बुद्ध की वाणी के साथ घटनाओं की लम्बी शृंखला

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 389