Book Title: Shivkosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Karunashankar Veniram Pandya

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Page 9
________________ अशुद्ध डा कूरुचरा कणिकारः तान केनिल: भण्ड मत मूरिदुग्धा थनन्ता छिकके मुनिधोन्यं मोढकी रोन बालभूषिक, कत्या श्रद्वालु दोहदायिनी गुविणी पैतृष्वसृय स्वञ्ज रुक्तप्रकार Jain Education International शुद्ध V कूडा कचरा कर्णिकारः तीन फेनिल: भण्डी मतः भूरिदुग्धा अनन्ता छिक्किके मुनिधान्यं आढको रसोन बालमूषिक; कन्या श्रद्धालु दोहदार्थिनी गुर्विणी पैतृष्वस्रेय स्वञ्जे रुक्प्रतीकार पेज ९० ९९ १०३ १०४ ११३ ११६ ११६ १२१ १२३ १२७ १२७ १२८ १४३ १५२ १५५ १५५ १५५ १५६ १६२ १६३ For Private & Personal Use Only पंक्ति २१ १ १.२ ४ १५. ३ १६ ८ ६ V १. १९ १४ ७ ४ ४ ཡ १ १३. www.jainelibrary.org

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