Book Title: Shivkosha
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Karunashankar Veniram Pandya

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Page 10
________________ पंक्तिः अशुद्ध सिहतलः १११ ब्राह्मचारी गायंसं कसण्डलु सिंहतलः ११० ब्रह्मचारी पायसं कमण्डलु पेज १७३ १७८ १८३ १८६ १८९ १९४ का घाटा घोटी २०६ मर्गः मार्गः २०८ अवमर्दो २२३ क्षत्र वाधुकिन् वृद्धजीव छागी अवमंदों क्षेत्रं वार्धकिन् वृद्धयाजीव पछागी मेद तुर्या श वजन सुतः कल्पपाल रक्मकृत विक्रयी २२७ २२७ २२७ २३५ २३५ २३८ मेढू २३८ तुर्याश वजट सुरतः कल्पाल रुक्मकत् विक्रमी ० २४१ २४३ २४३ २४५ ० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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