Book Title: Shiv Mahimna Stotram
Author(s): Thakurprasad Pustak Bhandar
Publisher: Thakurprasad Pustak Bhandar

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * भाषा-टीका-सहितम् * - स्वयं शारदा सर्वदा लिखती रहें तथापि आपके गुणों का पार नहीं पा सकतीं, तो मै कौन हूँ ? ॥ ३२ ॥ असुरसुरमुनीन्द्ररचितस्येन्दु मौले-. प्रथितगुणमहिम्नो निर्गुणस्येश्वरस्य । सकलगुणवरिष्ठः पुष्पदन्ताभिधानो रुचिरमलघुवृत्चैः स्तोत्रमेतचकार ।। ३३ ॥ अमुर, सुर और मुनियों से पूजित तथा विख्यात महिमा वाले ऐसे ईश्वर चन्द्रमौलि के इस स्तोत्र को अलधुवृत्त अर्थात् बड़े (शिखरिणी ) वृत्त में सकल गुण श्रेष्ठ पुष्पदन्त नामक गन्धर्व ने बनाया है ॥ ३३ ॥ अहरहरनवा धूर्जटः स्तोत्रमेतत्पठति परमभक्त्या शुद्धचित्तः पुमान्यः॥ स भवति शिवलोके रुद्रतुल्यस्तथाऽत्र प्रचुरतरधनायुः पुत्रवान्कीर्तिमांश्च ॥३४॥ शुद्धचित्त होकर अनवद्य महादेवजी के स्तोत्र को जो पुरुष प्रतिदिन परम भक्ति से पड़ता है वह इस लोक में धन-धान्य तथा आयुयुत, पुत्रवान् और कीर्तिमान होता है और अन्त में शिवलोक में शिवस्मरूप हो जाता है ॥३५॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34