Book Title: Shiv Mahimna Stotram
Author(s): Thakurprasad Pustak Bhandar
Publisher: Thakurprasad Pustak Bhandar

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * शिवमहिम्नस्तोत्रम् * महेशान्नापरो देवो महिम्नो नापरा स्तुतिः । अघोरान्नापरो मन्त्रो नास्ति तत्त्वं गुरोः परम् ॥३५॥ महादेवजी से श्रेष्ठ कोई देव नहीं, महिम्न से श्रेष्ठ कोई स्तोत्र नहीं, अघोर मन्त्र से श्रेष्ठ कोई मन्त्र नहीं और गुरु से श्रेष्ठ कोई तत्व ( पदार्थ ) नहीं ॥३५॥ दीक्षा दानं तपस्तीर्थं ज्ञानं यागादिकाः क्रियाः । महिम्नस्तव पाठस्य कलां नार्हन्ति षोडशोम् ॥३६॥ दीक्षा, दान, तप, तीर्थादि तथा ज्ञान और यागादि क्रियाएँ इस शिवमहिम्नस्तोत्र के पाठ को सोलहवीं कला को भी नहीं प्राप्त कर सकती हैं ॥३६॥ कुसुमदशननामा सर्वगन्धर्वराजः । शशिधरवरमौलेर्देवदेवस्य दासः ॥ सखलु निजमहिम्नो भ्रष्टएवास्य रोषात्स्तवनमिदमकार्षीदिव्यदिव्यं महिम्नः ॥३७॥ पुष्पदन्त नामक सभी गन्धर्वो के राजा, भाल में चन्द्रमा को धारण करनेवाले देवताओं के देव महादेवजी के दास थे, वे सुरगुरु महादेवजीके क्रोधसे अपनी महिमासे भ्रष्ट हुए तब शिव के प्रसन्नार्थ इस परम दिव्य शिवमहिम्न स्तोत्रको बनाये॥३७॥ For Private and Personal Use Only

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