Book Title: Shil Tarangini
Author(s): Jaykirtisuri, Somtilaksuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra शीलोप ॥ १ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ ॥ श्रीशी लोपदेशमालावृत्तिः प्रारम्यते ॥ (मूलकर्त्ता - श्रीजयकीर्त्तिसूरिः ) ( टीकाकार - श्री सिंह तिलकसूरिः ) पावी प्रसिद्ध करनार पंडित श्रावक दीरालाल इंसराज ( जामनगरवाळा ) यस्योपदेशसमये दशनांशु मिश्राः । स्कंधोपरि प्रसृमराश्चिकुरप्ररोहाः || कल्याणपात्रदधिसंकलित रुडुर्वा - लीलां दधुः स कुशलाय युगादिदेवः ॥ १ ॥ श्रिये स शांतिर्मृगलांबनः सन् । युक्तं दधानः कुमुदां विकाशं ॥ योऽनूनवानी हितनावमाप्य । शिवोत्तमांग स्थिरजासुरश्रीः || २ || शिवश्रियो रूपमनन्यरूपं । ज्ञानात्मदर्शे परिभाव्य जज्ञे ॥ श्रशैशवात्तन्ममानसो यः । स नेमिनाथः शिवतातिरस्तु ॥ ३ ॥ जावा अनेके प्रतिबिंव्य यस्य । ज्ञाने विवा दधिरे निवासं ॥ फलामिषात्सप्तनयाश्च तस्थु - स्त्यक्त्वा रिपुत्वं स शिवाय पार्श्वः ॥ 1 For Private And Personal वृत्ति ॥ १ ॥

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