Book Title: Shiksha Shatak
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 4
________________ ***C******—***—◊◊◊◊◊◊◊Co$C$60. 66066406060660 ›$0$$$0$$$0 $66066.C सूत्रोंमें नहि भेद दिखाया, अपने आप जमाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ ४ जो बिल्ली चूहेको पकड़े, उसे नहीं छोड़ाता है, बिल्लीको उसमें दुख माने, निर्दयभाव बढ़ाता है । नहीं समझते ही 'दुख देना', किसका नाम कथाया है ? ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है । 00066 ५ " पानी के विण तड़फ रहा जन, आकुल-व्याकुल होता हो, हाय हायरे ! बाप मुआ ! बोले मुझको कोई जल दो | नहि देना उसको भी पानी, ” ऐसा मत मन - माना है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ ६ " पानी देकर उसे बचावें, तो पापको सेवेगा, अन्न खायगा, जल पीएगा, फिर विषयों को सेवेगा । वे सब हमको पाप लगेंगे, हमने क्योंकि बचाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ " जिस वाडे में गौएं रहतीं, उस वाडेमें आग लगी, मत खोलो फाटक उसकी तुम, कारण गौएं जीएंगी । जीकर वे तो पाप करेंगी, " यह उपदेश सुनाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ *****************C****** Co ( २ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ......6660660C◊◊◊◊•—*•—••Co•—•••••••••C... www.umaragyanbhandar.com

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