Book Title: Shiksha Shatak
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 346 निबंध 79 परमगुरुश्रीविजयधर्मसरिभ्यो नमः ।। शिक्षा-शतक. ealan कर्ता, मुनिराज विद्याविजयजी. 26 प्रकाशक अभयचंद भगवान भाबी. led by Gulabchand Lalubhai Shah at theo Anand P. Press Bhavnagar. र सं. २४४२ स.१९१५ प्रथम्बार ७०००, Shree Sudha maswammi Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आईम् ॥ ॥ अ किञ्चिद्वक्तव्य. rec · संसारमें थोड़े ही मनुष्यों ने ऐसे पंथका नाम सुना होगा, कि जो दया करने और दान देनेमें अधर्म समझता है। आज मैं ऐसेही एक पंथ के मन्तव्यों को पद्यबंध में चित्रित कर, प्यारे पाठकोंके सामने उपस्थित करता हूँ । इस मतने दया और दानका बिलकुल ही निषेध किया है। यह मूँह की बात नहीं है, परन्तु इस मतकी 'धर्मविध्वंसन' 'ज्ञानप्रकाश' ' तेरापंथी कृत देवगुरु धर्म ओलखाण, ' 'जिनज्ञानदर्पण, ' ' तेरापंथी श्रावकों का सामायक पडिकमणाअर्थ सहित तथा 'जैनज्ञानसारसंग्रह ' वगैरह पुस्तकोंमें जोर शोर स इनका प्रतिपादन किया गया है और इन पुस्तकों को पढ करके ही मैंने यह ' शिक्षा- शतक' बनाया है। पाठक, इसको पढ़ करके इस पंथकी दयालुताका अच्छी तरह परिचय कर सकते हैं. जिन महाशयोंको, इस शतक में दिए हुए प्रसंगों को विशेष विस्तार से जाननेकी इच्छा होवे, वे अभी कुछ दिनों में प्रकाशित होनेवाली ' तेरापंथी - हितशिक्षा ' और ' तेरापंथ-मत समीक्षा' नामक पुस्तकों को मंगवाकर देखें । क्योंकी इन पुस्तकोंमें दया - दान और मूर्तिपूजाका शास्त्रप्रमाणोंसे अच्छी तरह प्रतिपादन किया गया है । हिन्दी पद्यरचना करनेकी मेरेमें शक्ति नहीं होने पर भी, मैंने यह साहस, जिस अभिप्रायसे किया है, उसको ध्यान में रख करके पाठक इसको पढ़ें, और लाभ उठावें, बस इसीमें मैं अपने साहसकी सफलता समझता हूँ । उदयपुर - मेवाड वर्षारंभ, वीर सं. २४४२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat } विद्याविजय. www.umaragyanbhandar.com Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3000000001 ॥ अहेम् ॥ ..ramme हिट 79 ॥ परमगुरुश्रीविजयधर्मसूरिभ्यो नमः । शिक्षा-शतक. मित्रो! देखो एक जगतमें ऐसा पंथ निराला है, ___ माने नहि कुछ धर्म-कर्म, मन मानी मौज उडाता है। चेतन-जडका भेद न जाने, शास्त्र कुशस्त्र बनाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने जगमें गजव मचाया है ।। मुनो सर्व सिद्धान्त इसीका, सार सार दिखलाता हूँ, __नहीं लेखिनी माने तो भी, हृदय कठोर बनाता हूँ। दया दानका मूल उखाड़ा, प्रतिमा पत्थर माना है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगहें गजव मचाया है ।। जो अनुकंपा मानी जगने, उससे भी मुख मोडा है, सावध-निरवद्य मेद दिवाकर, रास भयंकर जोड़ा है। १ तेरापंथ मतके उत्पादक मीलम ने, 'अनुकंपा रान' बनाया है, त्रिम. में निदेवताको वे सब बातें लिखी हुई हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ***C******—***—◊◊◊◊◊◊◊Co$C$60. 66066406060660 ›$0$$$0$$$0 $66066.C सूत्रोंमें नहि भेद दिखाया, अपने आप जमाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ ४ जो बिल्ली चूहेको पकड़े, उसे नहीं छोड़ाता है, बिल्लीको उसमें दुख माने, निर्दयभाव बढ़ाता है । नहीं समझते ही 'दुख देना', किसका नाम कथाया है ? ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है । 00066 ५ " पानी के विण तड़फ रहा जन, आकुल-व्याकुल होता हो, हाय हायरे ! बाप मुआ ! बोले मुझको कोई जल दो | नहि देना उसको भी पानी, ” ऐसा मत मन - माना है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ ६ " पानी देकर उसे बचावें, तो पापको सेवेगा, अन्न खायगा, जल पीएगा, फिर विषयों को सेवेगा । वे सब हमको पाप लगेंगे, हमने क्योंकि बचाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ " जिस वाडे में गौएं रहतीं, उस वाडेमें आग लगी, मत खोलो फाटक उसकी तुम, कारण गौएं जीएंगी । जीकर वे तो पाप करेंगी, " यह उपदेश सुनाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ *****************C****** Co ( २ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ......6660660C◊◊◊◊•—*•—••Co•—•••••••••C... www.umaragyanbhandar.com Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 000000000000000000000000000 * “किसी गृहस्थका घर जलता है, उसमें बहुत मनुष्य भरे, किलबिल किलबिल वे करते हैं, हाय मरे! रे हाय मरे। * पर मत खोलो किंवाड उसका, " ऐसा धर्म मनाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है। " गाडा नीचे बच्चा आवे, उसको भी न उठाओ कोई मरता हो तो मरने दो, चिंता न करो जीन जीना मरना कभी न चाहो" यह सिद्धान्त दिखाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है। 00000000000000000000000000000000000 * " साधु-संतको किसी दुष्टने आकर फांसी दीनी है, ___ भोगन दो उसको वह अपनी, जैसी करणी कीनी है। ॐ मत खोलो फांसी उसकी तुम, " ऐसा ज्ञान कराया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ 000000000000000000000000000000000000000000 * “जाडेसे मरते को मत दो, कपडेका टुकडा तुम एक," ) “भूखोंको मत अन्न खिलाओ, ऐसी मनमें रक्खो टेक" ! :) * ऐसी दया प्ररूपी जिसने, क्या क्या नहि दिखलाया है ? * ) ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है । ) "कोई मारे जीव मार्गमें, पैसा दे मत छूडाओ," .000000000000000000000000000 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ********* ̄***C*••C♦•C◊◊C•◊◊◊◊◊◊◊◊◊□000 C000 Co " सबल जीव दुर्बलको मारे, धर्म छुडाये मत मानो । แ लाय बुझाओ - कसाइ मारो, दोनों सम समझाया है, ऐसे तेरापंथ मज़बने, जगमें गजब मचाया है ॥ N ♠♠♠♠C< १३ विद्याशाला- दानभवन- हॉस्पिटल और पानी की पो, ऐसे कार्योंके करनेसे, धर्म-पंथको बैठे खो । " यही बोध है इसी पंथा, क्या ही तत्त्व निकाला है ?, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया 11 I १४ " जीवोंका जीना नहि चाहें " ऐसी डींग अडाते हैं, C Co*< फिर भी मक्खी गिरे दालमें, तुरत निकाल बचाते हैं । वायुकायके जीव बचानेको पाटा बंधाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है || १५ " जीवोंका हम तरना चाहें " इसी भूतके कारणसे, मरतेको सुखसे वे देखें, क्या है ऐसे तारणसे ? | आया इसका यही नतीजा, दया दान उठवाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है || १६ यह तरना वे भी तो चाहें: - कसाई नाम धराते हैं, ईश्वरका ले नाम, पशुव्रजका जो जभे कराते हैं । रहा फरक क्या इन दोनोंमें ? नहीं समझमें आया ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है || ॥ (४) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ***O..........................................Ñ.......** ̄** ̄*••••••..... www.umaragyanbhandar.com Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ +00000000000000000000000000000 * करूँ कहाँ तक वर्णन इसका ? बहुत विषय कहनेका है, दया-वृक्षको तोड दिया, बी बोया निर्दयताका है। आर्द्रभावको दूर किया, निज मन पाषाण बनाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ दया दयाका नाम पुकारें, दया नहीं जाने लवलेश, ___ 'दुःखीको दुखसे छोडाना,' कही दया यह ही परमेश। इसी दयाको, पर, नहीं जानें, मानें मन जो आया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है । " जीव मारनेसे लगता है, पाप एक, मारे उसको, . () पाप अठारों लगे उसीको, मरतेको परिपाले जो ।” * यह सिद्धान्त खास है इसका, इसमें सब कुछ आया है, () ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ "जो कुछ देना सो हमको दो, मत दो और किसीको कुछ, __ नहीं पात्र हैं और जगत्में, हमहीको समझो सब कुछ ।" साध्वाभासोंकी यह शिक्षा, नवीन पंथ चलाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है। • अब कुछ सुनो सूत्रकी बातें, जो इसने पलटाई हैं, नहीं समझकर अर्थ इन्हींके, कुयुक्तियाँ दिखलाई हैं। mher () Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 00000000000000000000000000000 जहाँ चली नहि एक, वहाँ तब 'प्रभु चूके' दिखलाया है, * ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ २२ : रयणादेवीके रोनेसे हुआ शोक उस जिनरिखको, ज्ञाताके नववें अध्ययनमें 'करुण' शब्दको तुम देखो। ) 'करुण' शब्दको ‘ करुणा' कहकर झूठा अर्थ लगाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ दिया दान वार्षिक, प्रभुने जब, अनुकंपाके आशयसे, बार वर्षका कष्ट बतावें, प्रभुको, दारुण विभ्रमसे । दान दिया सब अर्हन्तोंने, औरोंको न कहाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। २४ प्रज्ञप्त्यागम पनरशतकैमें, मंखलिपुत्र बचाया है, 'अनुकंपा' शब्दके देखते, 'प्रभुचूका ' दर्शाया है। चार ज्ञानके स्वामी प्रभुपर, यही कलंक लगाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। २५ निर्दोषी प्रभु थे, अप्रमादी, कभी न चूके संयममें, श्रीआचारे यही बताया, देखो नववें अध्ययनमें । १ पृष्ठ ९५८-९५९ । २ मगवत सूत्र । ३ ५० १२१७-१२१८ ।। ४ आचारांगसत्र । ५ पृष्ठ १५०-१५२ । .0000000000000000000000000... Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० 00000000 6 'प्रभु चूके' का पाठ नहीं, फिर अपने आप दिखाया है, ७ ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ २६ * अरणकका दृष्टान्त बताकर, कहें:-' न की करुणा इसने,' पर करुणाका काम वहाँ क्या, सुरलीला जानी इसने । 'नहि छोडेंगे धर्म हमारा' यह अरणक फरमाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। २७ ' नहीं करेगा हर्ज हमारा' यही बात इसके मनकी, फिर यह क्योंकर करे प्रार्थना, बनियों के संरक्षणकी ?। ज्ञातसूत्रमें स्पष्ट बात है, फिर भी झूठ चलाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ २८ मिथिलापति नमिराय, 'ऋषीश्वर' होकर चलदें जंगलमें, ___ रुदनकरें सब लोग नगरके, अपने अपने मंदिरमें ।। नहीं मोह उन पर ऋषिजीको, यही सत्य फरमाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। २९ गया इन्द्र, हो विष, वहाँपर, मोह-परीक्षा करनेको, वैक्रियद्वारा पुरी जलाकर, पूछे 'क्यों न इसे देखो?' । इसको भी 'करुणा' बतलाकर, दया-धर्म उठवाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ () १ पृ०७६५ । 1000000000000000000000000000000 (७) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रतिमाके साधन करनेको, पहुँचा मरघट गजसुकुमाल, सोमलने आकर इसके सिर, बांधी है मिट्टीकी पाल । उसमें भरे ज्वलित अंगारे, यही सूत्रमें आया है, _ ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । 2. से कहें, 'न क्यों अनुकंपा की प्रभुने,' यह झूठ बताते हैं, भाविभावको जानें प्रभुजी, नहीं प्रयत्न उठाते है इसी निमित्तसे कर्मनाश, प्रभुने इसका समझाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । ३२ "महावीरको हुए अनेकों कष्ट, देव-मनु-तिर्यक्से, की नहि रक्षा क्यों सुरपतिने अनुकंपाके कारणसे ?" सार इसीका नहीं समझते, देखो यह बतलाया है: ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।। 00000000000000000000000 आया सुरपति सेवा करने, जहाँ जिनेन्द्र बिराजे हैं, पर, प्रभुने फरमाया ऐसे “ जिननिरपेक्षक होते हैं । करें कर्मक्षय स्वकीय बलसे" योगशास्त्रेमें आया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। चेडा-कोणिक समरसमयमें, भी है सार समझनेका, १ स्मशान । २ पृ० १० । 100000000000000000000000000000 (८) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 000000000000000000000000000000 ___ "नहीं किया क्यों प्रयतन प्रभुने, जीवोंके परिपालनका"? : , भाविभावको जानें जिससे, नहीं प्रयत्न कराया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमे ढोंग मचाया है ।। (३५) " चुलणिपियाके तीन पुत्रको मारे पौषधशालामें, पर, नहि की अनुकंपा उनपर, रहा धर्मको दृढतामें"। प्रसंग था वह मोहरायका, उसको और बताया है, () ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । (३६) माताके आनेपर इसने, कोलाहल को बहुत किया, रजनीका था समय, अतः व्रतभंग इसे तो कहो दिया। सूत्र उपासकमें यह आया, दया-निषेध न आया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । (३७) " मच्छ गलागल नितपति होती, सारे द्वीप समुद्रोंमें, इनको क्यों न बचावें प्रभुजी, रहे इन्द्र जब आज्ञामें ?।" भाविभावको जानें जिनवर, जैसा होनेवाला है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढेंग मचाया है। (३८) () कइ अनुकंपा 'जिनआज्ञामें ' कइको 'आज्ञाभिन्न' गिनें, () २ नहीं भेद दिखलाए कहिंपर, फिरभी अपने आप गिर्ने । १ पृ० १४० । ...0000000000000000000.00* 000000000000000000000000000000. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 34.00000000000000000000000000000 * मनमाने ये भेद दिखाकर, मूलतत्त्व उठवाया है, है ऐसे तेरापंथ मजबनें, जगमें ढोंग मचाया है। “नेमनाथने पशुओंकी रक्षा की है भावी दुखसे, " ___ “धर्मरुचीने जीव बचाये, भाविकालमें मरनेसे । " () “मेघकुमरने ससलेको भी इसी प्रकार रखाया है, " ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। वे अनुकंपा जिन आज्ञामें, इनको आज्ञा रहित गिने:___"हरिकेशी पर भक्ति जगाकर, यक्ष, शरीर प्रवेश करे।" () "धारिणिने अनुकंपा लाकर इच्छित भोजन खाया है, " ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । ॐ * " हरिणिगमेषी देव, दयासे षट् पुत्रोंको लाया है, " " अनुकंपासे ही जिनवरने, मखलिपुत्र बचाया है।" “हरिका ईंट उठाना, " " सुरने जलधरको बरसाया है " ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।। ४२ क्या अनुकंपा हो सकती है, प्रभु आज्ञासे रहित कभी ? दुःखनाशकी इच्छा तो रखते हैं, मानवमात्र सभी । फिर भी इसको नहीं मानते, यही इन्होंकी माया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। १ गोशाला. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ **O◊`*0***Cooo00000000□060C***CoooO666C06609006 $0.606460‹ ( ४३ ) “ अव्रतिजीवन नहीं चाहना ' यह सूत्रोंमें आया है, नहीं समझ कर अर्थ इसीका, इसको यों पलटाया है" अत्रति जीवोंका जीना नहि चाहो, यह बतलाया ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ ( ४४ ) ऐसा झूठा अर्थ समझकर, दया हृदयसे खो डाली, दान-पुण्य शुभकरणी अपने ही हाथोंसे धो डाली । समकितको खो बैठ हृदयसे, जो मिथ्यात्व बसाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है || ܕܕ ४५ पार्श्वनाथ सांप बचाया, शान्तिनाथने कबुतरको, नेमनाथने पशु बचवाये, देखो उन अधिकारोंको । नहीं व्रतीथे, फिर भी उनका, क्यों रक्षण करवाया है ? ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है || •♦♦♦00*60***Ò◊◊◊ ̄*** ̄*** ̄*** ̄*** ̄*** ̄***—*** ̄*** ४६ शास्त्रों में तो यही बताया, श्रावक यह कहलाता है:44 सात क्षेत्र में भक्ति - प्रेमसे धनका व्यय जो करता है । दीन दुखीमें धनका व्यय भी जिसने नित्य कराया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।। " ४७ फिर भी इसको नहीं मानकर, दान-पुण्य भगवाया है, ................................................................ ( ११ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 00000000000000000000000000 श्रावक-श्रावकको न खिलावे, इसको धर्म बताया है। "दीन-दुखीको कुछभी नहि दे, यह श्रावक कहलाया है," Y ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।। ४८ . एकेन्द्रियादि भेद दिखाये जीवोंके, जो सूत्रोंमें, पुण्य-पाप भी भिन्न बताये, जीने-मरने दोनोंमें । नहीं मानकर इन भेदोंको, सबको सम समझाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । ४९ नहीं समझमें आता मुझको, क्यों वे रोटी खाते हैं ? ___ इसके बदले बडे अजोंको, क्यों वे नहीं उडाते हैं ?। पाप लगेंगे दोनोंमें सम, कारण, यही मनाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ 'जीव मारकर जीव न रखना, ' यह जो बात बनाते हैं, __ आवे यद्यपि सांढ सामने, कैसे भागे जाते हैं ?।। 'क्या भगनेमें जीव न मरते ?,' फिर भी झूठ बताया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । 6 . दया दयाका नाम पुकारें, दया किसीकी नानी है ? । दया रही अंतर ही घटमें नहीं, बड़ा वह पापी है,। १ वकरोंको। .0000000000000000000000... (१२) .. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ••••••••••••••O + 2 + 2 + Ove * इसी दयाका मूल उठाकर, क्रूरकर्म फैलाया है, ऐसे तेरापंथ मजबनें, जगमें ढोंग मचाया है ।। ५२ दया दानका मूल उठाया, इतना भी तो नहीं किया, ___ अपनी पूजा ही के कारण, प्रभुपूजाको उठा दिया । अपनी प्रतिमाको मानें, जिन-प्रतिमाको न मनाया है, __ ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । । . सूत्रोंमें तो गैर और अधिकार जिन प्रतिमाका है, ) पाठ छिपाकर इसका, इसने कृत्य किया चोरीका है। प्रभुवाणीकी चोरी करके, साहूकार बनाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है। ५४ . जिनप्रतिमा-जिनवाणी, ये दोनोंका हमें सहारा है, ___ मानें इनमें एक, उसे क्या कहना ? यही विचारा है:'बाप विनाका पुत्र समझ लो ' यही उचित समझाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है। 00000 . . . जिन प्रतिमाके दर्शनसे, दर्शन ही निर्मल होता है, 'दर्शन व्रतका मूल कहावे, जिन आगम यह कहता है। * इसी मूलका मूल उखाडा, क्या ही जग भरमाया है ?, ) ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है। ...0000000000000000000000000... (१३) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 0000000000000000000000.00... भेजी प्रतिमा अभयकुंवरने, आर्द्रकुमरके पास सही, देख, हुआ उस समय उसीको 'जातिस्मरण' ज्ञान वहीं । सुयगडांगके छठे अध्ययनमें, यह अधिकार बताया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है। .000000000 * कहें कुपंथी 'भेजा ओघा, ' नहीं तत्त्वको सोचा है, ओघेको कहता आभूषण क्या ? उसने जो सोचा है। * इसी कल्पना हीके कारण, नहीं तत्त्वको पाया है, 6 ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है । ५८ दोइने जिन प्रतिमा पूजी, ज्ञौता यह फरमाता है, ___ स्पष्ट पाठ मिलने पर, क्यों यह मूढमती शरमाता है ? । प्रभुपूजा-प्रभुदर्शनके विण, यों ही जन्म गमाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है । ५९ * देव-देवियोंको मानें, फिर जाकर नाक घिसाते हैं, प्रभुपतिमाके आगे जानेको, क्यों ये हिचकाते हैं ? । नहीं शरम आवे इनको, यह नवीन पंथ चलाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है ।। 0 . नाम ' अहिंसा के दिखलाए, उसमें 'पूजा ' दिखलाई, १ द्वितीय श्रुतस्कंधमें । २ द्रौपदी। 3 पृ० १२५५ । 8.000000000000000000000000000 (१४) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ***OooooooCao◊CoooCoooOo660*0.0*050000000000006 >♠♠♠♠C प्रश्नव्याकरणसूत्र कहे, यह आंख खोल देखो भाई । पकडा सो पकड़ा यह रक्खे, छोडे नहि पकडाया है, ऐसे देखो अजब मजवने, जगमें गजब मचाया है ॥ ६१ समकित धारी सूरयाभने प्रभुप्रतिमा पूजी देखो, इसी सूत्र पसेणीमें नाटक भी इसका देखो । स्पष्ट पाठ होनेपर, कैसा फिर, इसको पलटाया है:ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया CO ६२ " नाटककी जब आज्ञा मांगी, वहाँ वीरप्रभु मौन रहे, " कहें कुपंथी ' धर्म कहता, क्यों आज्ञा प्रभु नहि देते ? ' समझ नहीं इस न्याय नीतिकी: - 'अनिषिद्ध, स्वीकृत होता है' ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया || ६३ अगर न होती प्रभुकी आज्ञा, जब गौतमने पूछा था, क्यों करते वर्णन नाटकका ? कहते 'अनुचित ही यह था ' । इन बातोंको नहीं समझकर, ठोके जो मन आया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है | ६४ जिन प्रतिमाकी सेवा करता साधु, निर्जरा करता है, ऐसा खुलंखुल्ला देखो, मैश्नव्याकरण कहता है । १ पृ० ३३९ । २ ५० ७५ से । ३ पृ० ४१५ । C **O 11 (१५) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat C◊000606860. 22000000000000000000000000000 C00000000000000 www.umaragyanbhandar.com Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *.0000000000000000000000000000 भाव-भक्तिका पाठ दिखाया, फिर भी मुंह छिपाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है। जिन प्रतिमाकी पूजा करनेवाला सम्यग्दृष्टी है, पूजासे जो विमुख रहा नर, वह तो मिथ्यादृष्टी है । महाकल्पके इसी पाठको, जिसने नहीं मनाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है ।। जब आणंदने व्रत लिये, उस समय प्रतिज्ञा यह की है: 'अन्य तीर्थके देव न वांद्' प्रतिमा सिद्ध इसीसे है । अक्कल नहीं ठिकाने जिसकी, मूढ पंथ भरमाया है ऐसे देखो अजब मनबने, जगमें गजब मचाया है । ६७ जिन प्रतिमाकी तरह साधुकी सेवा करने वालेको, दीर्घायुष्य शुभ कर्म बंधाते, देखो 'तीजे ठानेको । उपमासे प्रतिमाकी पूजा, नहीं हृदयमें लाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ () Q इसी सूत्रमें फिर भी देखो, ठवणा सत्य बताया है, निक्षेपे जो चार बताये, उसमें ठवणा आया है। इन सबको भी नहीं मानकर, कैसा ऐब लगाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ १ अणांगसूत्र पृ० ११७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 000000000000000000000000000000 उववाइ 'अरिहंत चेइयाणि, क्या यह पाठ बताता है ?, __ अंबड़ने भी प्रतिमा पूजी, यही सूत्र दिखलाता है। अपने घरकी बात न जानें, झूठा ढोंग मचाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ सतर भेदसे जिनप्रतिमाकी, पूजाका अधिकार कहा, - इसी सूत्र रोयपसेणीमें, प्रतिमाको जिनसदृश' कहा। 'निःश्रेयस' का फलभी आया, फिर भी हठ पकडाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । आलोयण विधि चली सूत्रों, उसमें भी यह दर्शायाः__ "साधु, पास प्रभुप्रतिमाके जा, आलोयण ले" यह आया। करें अर्थ, इसका क्या वे जो, जिनने मुख बंधाया है ?, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है। भरतरायने अष्टापद पर, मणिमय बिंब भराये हैं, __ गौतमस्वामी जिनवंदनके हेतु यहाँ पर आये हैं । संपतिने भी सवाक्रोड जिन बिंबोंको बनवाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । महानिशिथमें यही बताया, 'जो जिनबिंब १ पृ० २.९६-२९७ । २ पृ० १९० । (१७) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 000000000000000000000000000000 * श्रावक करणी वही पालकर, स्वर्ग बारवें जाता है। इस करणीको नहीं मानकर, समकित बीज जलाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है। ७४ पतिमाका आकार देख कर, और मच्छ भी बूझे हैं, __ समकित पाकर जातिस्मरणसे, पूर्वभवोंको पेखे हैं । तिसपर मानें नहीं, जिन्होंने सच्चा अर्थ ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ।। ७५ Q अंग पांचवेंमें गणधरने, ब्राह्मी लिपिको वांदी है, फिर भी प्रतिमाके निंदकने, पूरी निंदा ठोकी है। () सुनो कुतोंको भी इसके, जिनसे जग भरमाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । कहें कुपंथी, "पत्थरकी गौ क्या हमको पय देती है ? इसी तरहसे पत्थरकी प्रतिमा न हमें कुछ देती है"। कहा खूब, अक्कलका परिचय अपने आप कराया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । ७७ () पत्थरकी गौसे क्या हमको गौका ज्ञान न होता है ? ऐसे ही जिनप्रतिमासे, जिनका उदबोधन होता है । । भगवतीसूत्र । २ तीर्थकरका । 3 ज्ञान । 0000000000000000000000000000 (१८) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 0000000000000000000000000000 * कहिये, माता-पुत्री-स्त्रीमें क्योंकर भेद मनाया है ? ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ॥ ७८ • नाम मात्रके ही लेनेसे, इष्ट-सिद्धि क्या होती है? ____ नाम रटो दिनभर लड्डका भूख नष्ट क्या होती है ? । Q नाम-मूर्ति इन दोनोंसे ही कार्यसिद्ध दिखलाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । ७९ * साधु कदाचित् पघड़ी पहने, क्या वह साधु कहावेगा ? ) साधु मानते लोक वेषसे, नहिं तो 'गेही होवेगा। ॐ नहीं मूर्ति, तो है क्या यह भी ? क्यों कुलको लजवाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है ।। * जिनसूत्रोंको 'प्रभुवाणी' कहते हैं, इसको भी देखो, ___ प्रभुवाणी तो चली गई, अब बनी मूर्ति उसको पेखो। * फिर भी प्रतिमाको नहि माने, पोलंपोल चलाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है। ८१ ४ प्रतिमामें यह शक्ति रही है, परिणामों बदलानेकी, जैसे चिंत्रित वनिताओंमें, 'इससे न वहाँ रहनेकी। आज्ञा तीर्थकरने दी है ' यह मनमें न जचाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है। १ गृहस्थ । २ स्त्रियों के चित्रोंमें। .000000000000000000000000000 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *******000000000000000606600666066606660666000* 066606❖❖06660606060. ८२ अब कुछ सुनो मजे की बातें, जो है चूरणकी गोली, देकर, मित्रो ! खतम करूं बस, इतनेमें इसकी होली 1 वेष और आचार इन्होंने, शास्त्रविरुद्ध रखाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ८३ जैनीका तो नाम धरावें, नहीं जैनका लेश रहा, आचारोंको छोड़, वेषको तोड़, दैत्यका रूप धरा । मैले कपड़े रक्खें, मानो तेली राजा आया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ८३ मुखपर पाटा बांधा, लंबा पूंछ बगलमें मारा है, कपड़े की गाती बांधी, यह देखो भील गँवारा है । नहीं वेष मुनियोंका है यह, अपने आप धराया है, देखो ऐसे अजब जब अपना जन्म गमाया है ।। ८५ शास्त्रोंमें नहि यह फरमाया :-' मुखपर पाटा बांधो तुम', साफ साफ तो यही कहा :- ' जब बोलो यतना रक्खो तुम । कहा इसमें धर्म 'वीरने, क्यों इसको न मनाया है ? देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है || १ महावीरस्वामीने । 1 06.066—666—6.0. ( २० ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat C •••••••••—•*•C666CoooCoooooo□••000000000000 www.umaragyanbhandar.com Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 606—666—***O***CoooCoooCoooOoooOo**Coo6C6000006 ८६ गौतमस्वामी गये मृगावतीके वहाँ, जब यही कहन 'भगवन् ! मुखको बांधो' ऐसा श्रीविपार्क में साफ कहा । बांधी हो, तो क्योंकर कहती ? इसमें कुछ न विचारा है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ८७ ओवश्यकर्मे विधि बतलाई, काउस्सग करनेकी, मुहपत्ती हाथमें कही है, फिर भी मुखको दे ताली । दशवैकालिक और अनेकों, सूत्रोंमें बतलाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है । ८८ दंडा रखनेका दिखलाया, भगवत्यादि अनेकोंमें, फिर भी इसको नहीं ग्रहें, करते ऐसे सब बातों में । बात एक भी नहीं रखी, साधूका वेष लजाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ८९ सब चीजों को खानेवाले, बनकर बैठे बावाजी, 'खमा', 'पूज्यपरमेश्वर' में, हैं और बने पूरे काजी । वासि - विल और मधु - मक्खन भी, जो आया, सो खाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है || ९० लाला कर, र्याएं देती हैं, जो हरदम रहती हैं, १ पृ. २२ । २ आवश्यकनियुक्ति में, काउस्सग के अधिकार में । ३ साध्वीएं। •C660000609 ( २१ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ***09660666066006660666066606600066066000. www.umaragyanbhandar.com Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ******* C***C***0*** ̄*** ̄*** ̄***0666006004460446 0666044606660. पास इन्हींके बैठ मजेसे भोजनको करवाती हैं । ललनाओंका ढेर हमेशा, दिनभर पास जमाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ९१ एक दिवसके अन्तरसे, उस घरमें भिक्षा जाते हैं, हलवा - पूरी और रायता, सब कुछ ही ले आते हैं । आधाकर्मी दोष न देखें, सबको इसने खाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ९२ कच्चा पानी पिएं राखका, जो सूत्रोंमें नहीं कहा, बरतणके धोअणको लेलें, जिसमें हैं उच्छिष्ट भरा । ऐसे करनेसे अपने पर ' म्लेच्छ ' कलंक लगाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ९३ 9 अजब बात रखते ही नहि हैं, रात्रिसमयमें पानीको, करते क्या होंगे यह सोचो, जब जावें वे जंगलको ? । अशुची रखनेका तो देखो, दंड निशिथमें आया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ९४ 'रजस्वला' यह धर्म न मानें, मानें फोड़ा फूटा है, उससे भी भिक्षा मंगावें, सब कुछ इसको छूटा है । करूं कहाँ तक श्लाघा इसकी ? धर्म-कर्म सब खोया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ।। १ रजस्वलावाली स्त्रीसे । Co C***0.0*0**60**6066 ( २२ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ***O***O***O***0***O***O***O***C000000606**—**** www.umaragyanbhandar.com Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ or.0000000000000000000000000000 बाहिर काले, भीतरकाले, काले कृत्य कराते हैं, ___ कूड़-कपटकी खान समझ लो, आडंबर रखवाते हैं । सूत्र-अर्थका भेद न जाने, भोला जग भरमाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है। र सब तीर्थोको छोड़ जगत्के, आप तीर्थ बन बैठे हैं, () गागा कर गीतोंको दिनभर, मूढोंको बहकाते हैं। . शास्त्रोंकी तो बात न करते, ठोक दिया मन आया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है। 'तीर्थेश्वर' का अर्थ न जानें, तीर्थेश्वर बन बैठे हैं, 'खमा' 'घणी खम्मा' की धुनमें, फूले नहीं समाते हैं। जा पूछा यदि प्रश्न किसीने, बस, झघडा उठवाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है। 'देव' गिनें वे भीखमजीको, 'गुरु' मानें कालूजीको, _ 'धर्म' प्ररूपा भीखमका है, छोड़े प्राक्तन पूज्योंको । इन्हीं तीन तत्वोंको ले कर, धोका पंथ चलाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ।। ९९ : 'तीर्थकर' का नाम छुडाकर, 'भीखम' नाम सिखाते हैं, १ प्राचीन-पूर्वके । 00000000000000000000000000000 । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 00000000000000000000000000. भीभाराजिममाडाका' की माला नित्य फिराते हैं। इसी तरहसे सबकुछ फेरा, यह पाखंड बढ़ाया है, . देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ।। * 'करो कभी मत संगत इसकी,' अन्तिमकी यह शिक्षा है, ___ 'मानो मेरा वचन हृदयसे,' बस, यह मेरी भिक्षा है । स्नेहिमित्रको शतक सुनाओ, जो इस मतमें चलता है, सेवो दान-दया-जिनप्रतिमा, जिससे पाप पिगलता है ।। code मुझमें जरा नहि शक्ति है, पद जोड़नेकी भी सही, भाषा न हिन्दी जानता, फिर और क्या कहना यही ? 8 तो भी कृपासे धर्मगुरुकी, भाव अंतर जो भरे, __ व्यक्त कर, उनको जगत्के सामने विद्याधरे ॥ ANDAR १ भीखम, भारमल, रायचंद जीतमल, मघराज, माणकचन्द, डालचंद और कालुराम, इन आठोंके आद्यक्षरोंको मिलाकर तेरापंथी लोग माला फिराते हैं। 0000000000000000000000000000 (२४) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SKASKASKEKO तेरापंथी-हिता यह पुस्तक, तेरापंथियोंके लिये जिन्होंने 'दया' और 'दान' से मुंह। कर्म शास्त्र और युक्तियोंके साथ अनुकंपा है। साथ ही साथ 'मुहपत्ती बांधना' से सम्मत ? इस विषयपर बहुत ही अच्छ एवं तेरापंथ-मतके उत्पादक भीखमर्ज लोकन तो सबसे पहिले ही कर दिया स्तकको मंगवा कर अवश्य पढिये। प्रकाशित होगी। *SAKSS तेरापंथ-मतसम इस पुस्तकमें, तेरापंथ-मतको उत र स्थूल मन्तव्य, पालीमें तेरापंथियोंके / . सारा वृत्तान्त, तेरापंथियोंके पूछे हुए अन्तमें तेरापंथियोंको पूछे हुए 75 पूजाकी, इस पुस्तकमें, सूत्रोंके पाठास - गई है। इस पुस्तकको भी अवश्य में - मिलनेका श्रीयशोविजय जैन भाव Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragvanbhandar.com