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प्रतिमाके साधन करनेको, पहुँचा मरघट गजसुकुमाल,
सोमलने आकर इसके सिर, बांधी है मिट्टीकी पाल । उसमें भरे ज्वलित अंगारे, यही सूत्रमें आया है, _ ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।
2.
से
कहें, 'न क्यों अनुकंपा की प्रभुने,' यह झूठ बताते हैं,
भाविभावको जानें प्रभुजी, नहीं प्रयत्न उठाते है इसी निमित्तसे कर्मनाश, प्रभुने इसका समझाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।
३२ "महावीरको हुए अनेकों कष्ट, देव-मनु-तिर्यक्से,
की नहि रक्षा क्यों सुरपतिने अनुकंपाके कारणसे ?" सार इसीका नहीं समझते, देखो यह बतलाया है:
ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ।।
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आया सुरपति सेवा करने, जहाँ जिनेन्द्र बिराजे हैं,
पर, प्रभुने फरमाया ऐसे “ जिननिरपेक्षक होते हैं । करें कर्मक्षय स्वकीय बलसे" योगशास्त्रेमें आया है,
ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है।
चेडा-कोणिक समरसमयमें, भी है सार समझनेका,
१ स्मशान । २ पृ० १० । 100000000000000000000000000000
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