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अब कुछ सुनो मजे की बातें, जो है चूरणकी गोली, देकर, मित्रो ! खतम करूं बस, इतनेमें इसकी होली 1 वेष और आचार इन्होंने, शास्त्रविरुद्ध रखाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ८३
जैनीका तो नाम धरावें, नहीं जैनका लेश रहा, आचारोंको छोड़, वेषको तोड़, दैत्यका रूप धरा ।
मैले कपड़े रक्खें, मानो तेली राजा आया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ॥ ८३
मुखपर पाटा बांधा, लंबा पूंछ बगलमें मारा है, कपड़े की गाती बांधी, यह देखो भील गँवारा है । नहीं वेष मुनियोंका है यह, अपने आप धराया है, देखो ऐसे अजब जब अपना जन्म गमाया है ।।
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शास्त्रोंमें नहि यह फरमाया :-' मुखपर पाटा बांधो तुम', साफ साफ तो यही कहा :- ' जब बोलो यतना रक्खो तुम । कहा इसमें धर्म 'वीरने, क्यों इसको न मनाया है ? देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ||
१ महावीरस्वामीने ।
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