Book Title: Shiksha Shatak
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ ० 00000000 6 'प्रभु चूके' का पाठ नहीं, फिर अपने आप दिखाया है, ७ ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ २६ * अरणकका दृष्टान्त बताकर, कहें:-' न की करुणा इसने,' पर करुणाका काम वहाँ क्या, सुरलीला जानी इसने । 'नहि छोडेंगे धर्म हमारा' यह अरणक फरमाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। २७ ' नहीं करेगा हर्ज हमारा' यही बात इसके मनकी, फिर यह क्योंकर करे प्रार्थना, बनियों के संरक्षणकी ?। ज्ञातसूत्रमें स्पष्ट बात है, फिर भी झूठ चलाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ २८ मिथिलापति नमिराय, 'ऋषीश्वर' होकर चलदें जंगलमें, ___ रुदनकरें सब लोग नगरके, अपने अपने मंदिरमें ।। नहीं मोह उन पर ऋषिजीको, यही सत्य फरमाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है। २९ गया इन्द्र, हो विष, वहाँपर, मोह-परीक्षा करनेको, वैक्रियद्वारा पुरी जलाकर, पूछे 'क्यों न इसे देखो?' । इसको भी 'करुणा' बतलाकर, दया-धर्म उठवाया है, ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है ॥ () १ पृ०७६५ । 1000000000000000000000000000000 (७) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28