Book Title: Shiksha Shatak
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 19
________________ 000000000000000000000000000000 उववाइ 'अरिहंत चेइयाणि, क्या यह पाठ बताता है ?, __ अंबड़ने भी प्रतिमा पूजी, यही सूत्र दिखलाता है। अपने घरकी बात न जानें, झूठा ढोंग मचाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है ॥ सतर भेदसे जिनप्रतिमाकी, पूजाका अधिकार कहा, - इसी सूत्र रोयपसेणीमें, प्रतिमाको जिनसदृश' कहा। 'निःश्रेयस' का फलभी आया, फिर भी हठ पकडाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । आलोयण विधि चली सूत्रों, उसमें भी यह दर्शायाः__ "साधु, पास प्रभुप्रतिमाके जा, आलोयण ले" यह आया। करें अर्थ, इसका क्या वे जो, जिनने मुख बंधाया है ?, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है। भरतरायने अष्टापद पर, मणिमय बिंब भराये हैं, __ गौतमस्वामी जिनवंदनके हेतु यहाँ पर आये हैं । संपतिने भी सवाक्रोड जिन बिंबोंको बनवाया है, ऐसे देखो अजब मजबने जगमें गजब मचाया है । महानिशिथमें यही बताया, 'जो जिनबिंब १ पृ० २.९६-२९७ । २ पृ० १९० । (१७) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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