Book Title: Shiksha Shatak
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 25
________________ or.0000000000000000000000000000 बाहिर काले, भीतरकाले, काले कृत्य कराते हैं, ___ कूड़-कपटकी खान समझ लो, आडंबर रखवाते हैं । सूत्र-अर्थका भेद न जाने, भोला जग भरमाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है। र सब तीर्थोको छोड़ जगत्के, आप तीर्थ बन बैठे हैं, () गागा कर गीतोंको दिनभर, मूढोंको बहकाते हैं। . शास्त्रोंकी तो बात न करते, ठोक दिया मन आया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है। 'तीर्थेश्वर' का अर्थ न जानें, तीर्थेश्वर बन बैठे हैं, 'खमा' 'घणी खम्मा' की धुनमें, फूले नहीं समाते हैं। जा पूछा यदि प्रश्न किसीने, बस, झघडा उठवाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है। 'देव' गिनें वे भीखमजीको, 'गुरु' मानें कालूजीको, _ 'धर्म' प्ररूपा भीखमका है, छोड़े प्राक्तन पूज्योंको । इन्हीं तीन तत्वोंको ले कर, धोका पंथ चलाया है, देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ।। ९९ : 'तीर्थकर' का नाम छुडाकर, 'भीखम' नाम सिखाते हैं, १ प्राचीन-पूर्वके । 00000000000000000000000000000 । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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