Book Title: Shiksha Shatak
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 26
________________ 00000000000000000000000000. भीभाराजिममाडाका' की माला नित्य फिराते हैं। इसी तरहसे सबकुछ फेरा, यह पाखंड बढ़ाया है, . देखो ऐसे अजब मजबने, अपना जन्म गमाया है ।। * 'करो कभी मत संगत इसकी,' अन्तिमकी यह शिक्षा है, ___ 'मानो मेरा वचन हृदयसे,' बस, यह मेरी भिक्षा है । स्नेहिमित्रको शतक सुनाओ, जो इस मतमें चलता है, सेवो दान-दया-जिनप्रतिमा, जिससे पाप पिगलता है ।। code मुझमें जरा नहि शक्ति है, पद जोड़नेकी भी सही, भाषा न हिन्दी जानता, फिर और क्या कहना यही ? 8 तो भी कृपासे धर्मगुरुकी, भाव अंतर जो भरे, __ व्यक्त कर, उनको जगत्के सामने विद्याधरे ॥ ANDAR १ भीखम, भारमल, रायचंद जीतमल, मघराज, माणकचन्द, डालचंद और कालुराम, इन आठोंके आद्यक्षरोंको मिलाकर तेरापंथी लोग माला फिराते हैं। 0000000000000000000000000000 (२४) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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