Book Title: Shiksha Shatak
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 15
________________ ••••••••••••••O + 2 + 2 + Ove * इसी दयाका मूल उठाकर, क्रूरकर्म फैलाया है, ऐसे तेरापंथ मजबनें, जगमें ढोंग मचाया है ।। ५२ दया दानका मूल उठाया, इतना भी तो नहीं किया, ___ अपनी पूजा ही के कारण, प्रभुपूजाको उठा दिया । अपनी प्रतिमाको मानें, जिन-प्रतिमाको न मनाया है, __ ऐसे तेरापंथ मजबने, जगमें ढोंग मचाया है । । . सूत्रोंमें तो गैर और अधिकार जिन प्रतिमाका है, ) पाठ छिपाकर इसका, इसने कृत्य किया चोरीका है। प्रभुवाणीकी चोरी करके, साहूकार बनाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है। ५४ . जिनप्रतिमा-जिनवाणी, ये दोनोंका हमें सहारा है, ___ मानें इनमें एक, उसे क्या कहना ? यही विचारा है:'बाप विनाका पुत्र समझ लो ' यही उचित समझाया है, ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है। 00000 . . . जिन प्रतिमाके दर्शनसे, दर्शन ही निर्मल होता है, 'दर्शन व्रतका मूल कहावे, जिन आगम यह कहता है। * इसी मूलका मूल उखाडा, क्या ही जग भरमाया है ?, ) ऐसे देखो अजब मजबने, जगमें गजब मचाया है। ...0000000000000000000000000... (१३) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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