Book Title: Shatpadi Bhashantar
Author(s): Mahendrasinhsuri
Publisher: Ravji Devraj Shravak

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Page 9
________________ शतपदीनुं सारांश. (६) साध्वी ओछामा ओछी त्रण विचरे. (२७) (६) ऋतुबद्धकाळे पीठफळक नहि वापरवा. (३५) (७) साधुना उपाश्रये गीतनृत्य न कल्पे. (४०) (८) साधुए कमाडवाळी वसतिमांज रहे. (४६) (९) मोदक वोरतां भांगवानी जरुर नथी. (६२) (१०) साध्वीने दीक्षा देतां आचार्य लोच न करवो. (६३) (११) हाथ पग न धोवा. (६८-६९) (१२) रजोहरण मोपती वेगळे न मूकवा तथा रजोहरणपर बेशर्बु नहि. (७०) (१३) भिक्षादिकनो उपयोग मिक्षार्थ जती वेलाज करवो. (७२) (१४) साधु श्रावकने योग्यसूत्र भणावी शके छे. (८५) (आपवादिक कृत्यो.) १ पुस्तक तथा तेना उपकरण राखी शकाय छे. १०-११-१२ २ पात्राने खंजन लेपन मळे तो बीजो लेप पण आपी शकाय.१७ ३ स्थिर के चळ अवष्टंभ पण लइ शकाय छे. १८-१९ ४ वृषभकल्पनावाळी वसति नमळे तो बीजीमां पण रही शकाय.२३ ५ साधु वरसाद वरसतां पण भोजनादि करी शके छे. २५ ६ सूत्रार्थपोरसीमां पण धर्मदेशना देइ शकाय. (२८) ७ कारणे सूत्रार्थपोरसीनी उलटपालट पण करी शकाय. २९ ८ मात्रक, कडाइ, टोप, नंदीपात्र, घडा, नेण, सूइ वगेरा उ पयोगी उपकरण पण राखी शकाय. २६-३२-५५ ९ चोलपट्टो पहेराय छे तथा तेनुं प्रांत गोपवाय छे. ३३-३४ . १० कारणे मासकल्पनी वधगट पण करी शकय छे. ४१ ११ बीजा पाणीथी पण वस्त्र धोवाय छे अने नेवना पाणीथी

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