Book Title: Shatpadi Bhashantar
Author(s): Mahendrasinhsuri
Publisher: Ravji Devraj Shravak

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Page 7
________________ शतपदीनं सारांशप्रतिमा संबंधी विचारो. (१) प्रतिमा सपरिकर तथा अपरिकर बन्ने वंदाय ( १ )* (२) प्रतिमामां वस्त्रांचळ कराव. (२) (३) प्रतिमानी प्रतिष्टा यतिए न करवी. (३) (४) दीपपूजा, फळ तथा बीजपूजा, तथा बळिपूजा न करवी. (४–६–८) (५) तंडुलपूजा, तथा पत्रपूजा थइ शके छे. (५- १) (६) पार्श्वनाथनी सात फण अने सुपार्श्वनाथनी पांच फण कराववी. (४३-४४ ) (७) पूजा उत्सर्गे त्रिसंध्याएज करवी, पण अपवादे आगल पा छल पाडी थइ शके. (६४) (८) श्रावके चैत्यवंदन देवता माफकज करखुं. (९२) (९) राते पूजा नहि करवी. (९७) (१०) निश्राकृत चैत्य पण वांद. (९८) श्रावकनी क्रिया संबंधी विचारो. (१) श्रावके वस्त्रांचळथीज क्रिया करवी. (२०) (२) थापनाचार्य नहि थापवो. (२१) (३) मुनिने वदता एक खमासमण देनुं पण चाले. (२२) (४) मिथ्यात्व त्रिविधे त्रिविधे परिहरनुं (३०-३१ ) (५) पौषध पर्वदिनेज कर. (३६) * आ आंकडा विचारांना छे.

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