Book Title: Shatpadi Bhashantar
Author(s): Mahendrasinhsuri
Publisher: Ravji Devraj Shravak

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Page 6
________________ ( ६ ) प्रस्ताबना. आ भाषांतर सर्वे वांचनाराओने तरतमां अने सरळ रीते समजवामां आवे ते सारुं शतपदीना शब्दे शब्द लइ नहि करतां कामां सारांश लइने सरळ रीते रचवामां आव्युं छे. वळी प्रांतां श्री मेरुतुंगसूरिविरचित लघुशतपदीनी उपयोit बिना तथा अंचळगच्छनी पट्टावळी पण आपवामां आवी छे. आ पुस्तकने छपावी प्रसिद्ध करवाना काममां कच्छ-दुर्गापुर निवासी सुश्रावक पासुभाइ अने आसुभाई वाघजी, तथा कच्छ - नाराणपुर निवासी सुश्रावक ठाकरसींभाइ तथा कच्छकोडा वास्तव्य सुश्रावक लाधाभाइ वगेराए सारं उत्तेजन आच्युं छे. माटे तेमनो आ जगोए उपकार मानवामां आवे छे. वळी विजयमान अंचलगच्छाचार्य पूज्य भट्टारक श्रीमान् जिनेंद्रसागरसूरि महाराजे पण आवा उत्तम ग्रंथनी योग्य कदर करी संपूर्ण आश्रय आप्यो छे तेथी तेमनो पण उपकार मानवामां आवे छे. हवे वाचक वर्ग मते मारी ए वीनति छे के आ भाषांतर सुधारवामां मे माराथी बनतो प्रयास लेवामां खामी राखी नथी, छतां नजरदोषथी के मतिभ्रमथी क्यां पण भूलचूक जणाय तो तेमणे ते सुधारी वांच, अने मने ते विषे सूचना आपवा कृपा करवी. भाषांतर कर्ता.

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