Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 5
________________ ॥ श्रीजिनेंघाय नमः॥ श्रीजिनदत्तसूरिविरचितं शकुनशास्त्रम्. ॥प्रथमः प्रस्तावः प्रारच्यते॥ प्रणम्य श्रीजिनाधीश, स्याहादामृतवर्षिणं । रहस्यं हि प्रवदयामि, शकुनानां विशेषतः॥१॥ अर्थ–स्याफादरूपी अमृतने वरसनारा एवा श्री जिनेश्वर प्रनुने नमस्कार करीने विशेष प्रकारे शकुनोना रहस्यने हुँ (श्री जिनदत्त सूरि ) कहीश. पुत्र अथवा पुत्रीना जन्म संबंधी शकुनो कहे छे. बाळकना जन्मसमये सूतिकागृहनी उपर जो कागमो आवीने बोले तो तेनां मात पितानो उ मासनी अंदर नाश थाय . जो पोपट आवीने बोले तो जन्मनार बाळक विधान् थाय जे. जो कोकिल आवीने बोले तो बाळकनी मातानुं एक मासनी अंदर मृत्यु नीपजे . जो त्यां बाज पदी बेसीने शब्द करे तो पितार्नु तुरत मृत्यु थाय बे. जो त्यां गीध पदी बेसीने शब्द करे तो तेना सर्व कुटुंबचें तुरत मृत्यु थाय ने. त्यां जो बिलामी श्रावीने बोले तो ते संतान रतांधळु थाय बे. जो त्यां सुंदर भावीने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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