Book Title: Shakrastava
Author(s): Padmalatashreeji
Publisher: Premilaben Jayantilal Shah
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मूल - ॐ नमोऽर्हते केवलिने परमयोगिने (भक्तिमार्गयोगिने) विशाल-शासनाय सर्वलब्धिसम्पन्नाय निर्विकल्पाय कल्पनातीताय कला कलाप-कलिताय विस्फुर-दुरु-शुक्ल-ध्यानाग्निनिर्दग्ध कर्मबीजाय प्राप्तानन्त-चतुष्टयाय सौम्याय शान्ताय मङ्गल-वरदाय अष्टादश-दोष-रहिताय संसृत-विश्व-समीहिताय स्वाहा ॥ ११ ॥
ॐ ही श्री अहँ नमः
अर्थ : ॐ नमोऽर्हते मरिहंत ५२मात्माने नम२४॥२ थानो. અરિહંત પરમાત્મા કેવા છે ? केवलिन् - उपली छे. परमयोगिन् - ५२मयोगी छ.
भक्तिमार्गयोगिन् - मतिभाभि 31 मापना२ छे. मा ભક્તિમાર્ગના યોગી છે. विशाल-शासन - ४मन शासन-२माशा विस ७. सर्वलब्धि-सम्पन्न - सर्व ५२नी सब्धियी युक्त . निर्विकल्प - वि४८५ रहित छे.
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