Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Padmaratnasagarji
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ढाळ ८ मी
( नमो भवि भावशुं ए-ए देशी ) सिद्धारथराय कुळतिलोए, त्रिशलामात मल्हार तो;
अवनीतळे तमे अवतर्या ए.
करवा अम उपगार. ज्यो जिनवीरजीए
में अपराधकर्या घणा ए, कहेता न लहुं पार तो; तुमचरणे आव्या भणीए, जो तारे तो तार ज्यो० आशकरीने आवीयो ए, तुमचरणे महाराज तो; आव्याने उवेखशोए तो केमरहेशे लाज. ज्यो० करम अलुंजण आकरां ए, जन्म मरणजंजाळ तो; हुं छं एहथी उभग्यो ए, छोडाव देव दयाल ज्यो० आज मनोरथ मुज फळ्या ए. नाठां दुःखदंदोल तो; तुठ्यो जिन चोवीशमो ए प्रकट्यां पुन्यकल्लोल, ज्यो० ५ भव भवे विनय तुमारडो ए, भाव भक्ति तुम पाय तो; देव दयाकरी दीजीए ए, बोधि बीज सुपसाय, ज्यो० ६
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