Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Padmaratnasagarji

View full book text
Previous | Next

Page 168
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वितीय पूजा दुहा स्नात्र भणावी पार्श्वनु, पूजा कीजे सार, पूजक पूज्यनी पूजना, समजीजे सुखकार. बेउ पासे वींझीए, चामर चारु उमंग, दर्पण प्रभु आगळ धरो, होवे जय जयरंग. (सुतारीना बेटा तुने विनवू रे लोल-ए देशी) प्रभु पार्श्व जिनेश्वर गाईए रे लाल, श्री शंखेश्वर प्रभु नाम जो, तुज नामथी नवनिधि संपजे रे लोल, मन वंछित सीझे काम जो, नाम रूईं शंखेश्वर पासर्नु लोल, मिथ्यात्वदशा दूर थाय जो, शुद्ध श्रद्धा हृदय प्रगटाय जो. नाम रूकुं० १ पूजा वास्तुक दोय प्रकारनी रे लोल, शुभ अशुभ भेदे कहाय जो, द्रव्य वास्तुक पूजाना ए कह्या रे लोल, तेह हरखे कहुं चित्त लाय जो. नाम०२ १६० For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180