Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Padmaratnasagarji

View full book text
Previous | Next

Page 166
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीपक करे, नवस्मरण भणवां, शक्ति हो तो स्नात्रिया को खिलावे, कन्याओ इंद्राणि हो तो करनी. प्रथम पूजा दुहा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ, त्रेवीशमा जिनराय, धरणेंद्र पद्मावती, पूजे जेहना पाय. पार्श्व यक्ष जस शोभतो, सेवा करे चित्त लाय, पुरिसादाणी पार्श्वनाथ, ध्यातां शिवसुख थाय. वास्तुक पूजा घर तणी, करतां सुख विशाल, ऋद्धि वृद्धि सुख संपजे, होवे मंगलमाळ. पंच पंच वस्तु थकी, शंखेश्वर प्रभु पास, पूजो भवि भावे करी, सफळ होवे मन आश. चिंतामणी सम पार्श्वनाथ पार्श्वमणि सम नाम, ध्यातां मातां प्राणीनां, सीझे सघळा काम. (मल्लिजिन वंदीए भवि भावे रे-ए देशी) शंखेश्वर पास प्रभु नित्य गावो रे, शाश्वत शिवकमळा पावो. शंखेश्वर० काशीदेश वाणारसी गाम रे, १५८ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180