Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Padmaratnasagarji
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ए जपतां जाये, दुर्गति दोष विकार, सुपरे ए समरो, चौद पुरवनोसार जनमांतरजाता, जो पामे नवकार, तो पातिकगाळी, पामे सुरअवतार; ए नवपद सरीखो, मंत्र न कोइ सार, आ भवे ने परभवे, सुखसंपत्ति दातार जुओ भीलभीलडी, राजाराणी थाय, नवपदमहिमाथी, राजसिंहमहाराय, राणीरत्नवती बेहु पाम्यां छे सुरभोग, एकभवपछीलेशे, शिववधूसंजोग श्रीमतीने ए वळी, मंत्रफळ्यो तत्काल, फणीधर फीटीने, प्रगट थइ फुलमाळ, शिवकुमरे जोगी, सोवनपुरिसो कीध, एम एणे मंत्रे, काज घणांना सिद्ध ए दशअधिकारे, वीरजिणेसर भाख्यो, आराधनकेरो विधि जेणे चित्तमांहि राख्यो; तेणे पापपखाळी, भवभय दूरे नाख्यो, जिन विनयकरंतां सुमति अमृतरस चाख्यो
१४९
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180