Book Title: Sarva Mangal Manglyam
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Padmaratnasagarji

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Page 156
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९ भाव भली परे भावीए, ए धर्मनो सार; शिवगति आराधनतणो, ए आठमो अधिकार ध० ढाळ ७ मी (रैवतगिरि हुआं, प्रभुना त्रणकल्याणक-ए देशी) हवे अवसर जाणी, करी संलेखन सार; अणसणआदरीये, पच्चक्खी चारे आहार; ललुता सवि मूकी, छांडी ममता अंग; ए आतम खेले, समता ज्ञान तरंग गति चारे कीधां, आहार अनंत निःशंक, पण तृप्ति न पाम्यो, जीव लालचीयो रंक: दुलहो ए वळी, अणसणनो परिणाम, एहथी पामीजे, शिवपद सुरपद ठाम धन धन्ना शालिभद्र, खंधो मेघ कुमार अणसण आराधी, पाम्या भवनो पार; शिवमंदिर जाशे करी एक अवतार, आराधनकेरो, ए नवमो अधिकार दशमे अधिकारे, महामंत्रनवकार, मनथी नविभूको, शिवसुखफल सहकार; १४८ For Private And Personal Use Only

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