Book Title: Sarangmuni Pranit Sukti Dwatrinshika Author(s): Amrut Patel Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ September-2006 नाहि दोष गुसांई.' (१७) समर्थथी बधा डरता पण होय छे. 'बळता अग्नि' ने नहि पण "ठंडी राळ'ने बधा अडके छे. (१८) सन्तान उपर माता-पितानां संस्कार पडता होय छे. जूओ स्वाति नक्षत्रमा वर्षेनुं पाणी, छीपमां मोती बने छे. अने कदलीस्तम्भ-केळनां थड जेवा निःस्सार पदार्थमां पडतां कपूर बने छे. जे पवनमां ऊडी जतुं होय छे. ज्यारे मोती टकाऊ होय छे. (२०-२१) वस्तु सारी छे के नरसी छे ते योग्य अवसरे ज खबर पड़े छे. एटले ज वर्षाऋतुमां मोरनो टहूको मीठो लागे छे अने शरदऋतुमां कर्णकटु. अर्थात् चकनेमिक्रमे सुख दुःखनी व्याख्या समयने आधीन छे. (२२) हवे नवो विषय लईने कवि अपमान सहन करनार करतां पेली धूळ वधु सारी के जे तेने लात मारे, तेनां माथे जईने पडे छे. (२३) कोई मित्र जो शत्रु बने तो, तेनाथी दूर जईने रहे. ए माटेनुं सुन्दर उदाहरण से छे के मरुदेशमा वर्षाद पडे त्यारे धूळ ने कारणे कादव थाय एटले स्वच्छ जलनो रागी राजहंस त्यांथी दूर जईने मानसमा वसे छे. (२४) अने मित्र जो आपणा दोषो जाहेर करे तो मित्रनो त्याग करवो. एटले 'मर्मभेदी' मित्र ए हकीकतमां शत्रु छे (२५) एम छतां कोईक वार घणा लोको आपणो विरोध करे तो आपणे मौन राखवं, कारण के दुर्जयो हि महाजनः होय छे. (२६) हवे जो कोईक भूतपूर्व शत्रु आपणने अनुकूळ थईने स्नेह वर्षावे तो तेने आदर आपवो अर्थात् जून वैर भूली जवं. अमां ज भलुं थाय छे. (२७) अने कंईक हितकारी बाबत होय तो एने सांभळीओ. (२९-३२) अहीं विषय बदलीने कवि स्वार्थनी वात जणावे छे के जगत स्वार्थी छे. वाछरडुं पण गायने त्यजी दे छे के ज्यारे एने धाववानी जरूर न होय. नीच जन पोते जेनाथी ऊंचे आवे छे तेने ज पाडे छे. एटले कवि कहे छे-जओ धम अग्निमांथी पेदा थयो अने ऊंचे आकाशमां जईने मेघरूप बनीने वर्षे छे अने अग्निने ज ओलवी नांखे छे, त्यारे जगतमां जन्म धारण करीने सहुओ यशोर्जन माटे प्रयास करवो, पण अपयश थाय एवं न करवं. आवो अपयश मोटे भागे 'पराई वस्तु' उपर नजर बगाडवाथी, अने लई लेवाथी थाय छे. बळवान रावण पण सीतार्नु हरण करीने अपयशपूर्वक नाश पाम्यो. छेल्ले कवि जणावे छे के आ बधा सद्गुणसद्व्यवहारनो सार एटलो ज के गमे के न गमे पण भगवंतनुं चरण-शरण स्वीकारो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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