Book Title: Saral Jyotish
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 8
________________ 1. Introduction to Horoscope & its Houses पाठ 1. कुण्डली एवं भाव परिचय जन्मपत्री किसी निश्चित स्थान पर किसी निश्चित् समय के लिए आकाश का नक्शा होती है उस समय जो भचक्र की राशि पूर्व क्षितिज पर उदय होती है उसका संकेत करती है जिसे लग्न की संज्ञा दी जाती है इसे प्रथम भाव के नाम से भी जाना जाता है। जन्मपत्री के रूपः भारत के विभिन्न भागों में जन्मपत्री को विभिन्न रूपों से चित्रित किया जाता है जिनमें उत्तर भारतीय दक्षीण भारतीय और बंगाल विधि अधिक प्रचलित है। चित्र नं 1 भारत के उत्तरी भाग में इसका प्रयोग किया जाता है। सबसे ऊपर मध्य भाग को लग्न अथवा प्रथम भाव की उदयीमान राशि माना जाता है और जन्म समय उदय होने वाली राशि की संख्या जैसे- उदाहरण कुण्डली में सिंह राशि के लिए 5 संख्या को लग्न में लिखा जाता है तदुपरान्त भावों की गिनती घड़ी की विपरित चाल से क्रमशः की जाती है। और राशियों के इसी क्रम में अगले भावों में क्रमशः लिखा जाता है जैसे- कि चित्र नं. 1 में दिखाया गया है। चित्र नं. 1 Xo 5 / 10 / 12

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