Book Title: Saral Jyotish
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 7
________________ भूमिका देश में अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ (पंजी) का 9 मई, 2001 को निर्माण हुआ। संघ का मुख्य उद्देश्य में देश भर में एक प्रकार का उच्चस्तरीय, विश्वविद्यालयस्तर का पाठ्यक्रम चलना भी है। समय की आवश्यकता को ६ यान में रखते हुए तथा देश भर में कम्प्यूटर का प्रभाव देखते हुए विद्वानों ने पाठ्यक्रम को तैयार किया। इस पाठ्यक्रम में छात्रों की रुचि, उनकी योग्यता तथा उनकी अवस्था का पूरा विश्लेषण किया गया। ज्योतिष के विद्वानों ने इस पर विचार किया और जो सर्वसम्मति से उपयुक्त पाया गया, वह पाठ्यक्रम में रखा गया। ज्योतिष रत्न के पाठ्क्रम के आधार पर, पाठकों की रुचि, योग्यता तथा अवस्था, देश, काल पात्र को ध्यान में रखते हुए ज्योतिष पर 'सरल ज्योतिष' का निर्माण किया गया। इस पुस्तक में ज्योतिष से संबन्धित खगोल ज्ञान, गणित, ज्योतिष फलित, गोचर, पंचांग का अध्ययन तथा कुण्डली मिलान का प्रारम्भिक ज्ञान के विषयों को लिखा गया है। जान कर पाठक जल्दी से जल्दी ज्योतिष फलित की ओर अग्रसर हो। कम्प्यूटर की सुविधा मिलने के कारण पाठकों को गणित, खगोल आदि के गहन अध्ययन की आवश्यकता नहीं है। उसे केवल प्रारम्भिक ज्ञान की ही आवश्यकता है। इसलिए पाठ्यक्रम में गणित तथा खगोल का विषय केवल प्रारम्भिक दिया गया है। प्रत्येक पाठक ज्योतिष फलित करना चाहता है। इस रुचि को ध्यान में रखते हुए उसका कुछ विस्तार से वर्णन किया गया है। अधि क ज्ञान के लिए पाठक को आगे की कक्षाओं में भी अध्ययन करना चाहिये जैसे-ज्योतिष भूषण, ज्योतिष प्रभाकर तथा ज्योतिष शास्त्राचार्य । इन पाठक्रमों का अध्ययन करने के बाद पाठक ज्योतिष विषय में प्रारंगत हो जाता है। फिर केवल अभ्यास की ही आवश्यकता रहती है। दिनांक 1 जुलाई 2001 स्थान -दिल्ली

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