Book Title: Saptatikaprakaran Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 2
________________ हैं। उनका जन्म विक्रम सं० १९४७ के चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिनजो भगवान महावीर का जन्म दिन है-हुया। उनके पिता का नाम देवचन्द्र और माता का नाम अम्बा था। वे तीन भाई हैं। हीराचंद माई की प्राथमिक गुजराती सम्पूर्ण शिक्षा वदवारण में ही समान हुई। वे तेरह वर्ष की उम्र में धार्मिक शिक्षा के लिए मेताया गये जहाँ कि यशोविषय जैन पाठशाल स्थापित है। उस पाठशाला में दो वर्ष तक प्राथमिक संस्कृत भाषा का तथा प्राथमिक जैन प्रकरण ग्रन्थों का अध्ययन करने के विशेष अभ्यास के लिए अन्य चार मित्रों के साथ मड़ौच गये । उस समय मडौच में बैन कर्मशास्त्र और आगमशान के निप्यात श्रीयुत अनूपचंद मजूनचंद जैन समाज में सुप्रसिद्ध थे। जिनका एक मात्र मुख्य कार्य जैन शास्त्र विषयक चिंतन-मनन, लेखन ही था। वैसे दिगम्बर समाज में मुरेना पं० गोपालदास बैरया के कारण उस जमाने में प्रसिद्ध या, वैसे ही मौच भी श्वेताम्बर समाज में श्रीयुत् अनूपचंदभाई के कारण अापक था। श्रीयुत अन्पचढमाई के निकट रहकर हीराचंदभाई ने छह महीने में छह कर्मग्रन्य तथा कुछ अन्य महत्त्व के प्रकरणों का अध्ययन-अाकलन कर लिया। इसके बाद वे मेसाणा गये और अनूपबंदमाई की सूचना के अनुसार विशेष संस्कृत अध्ययन करने में लग गये। आचार्य हेमचन्द्रकृत व्याकरण तथा काव्य आदि अन्यों का ठीक ठीक अध्ययन करने के बाद वे मेसाणा में ही धार्मिक अध्यापक रूप सेनियुक्त हुए। और करीब पाँच वर्ष उसी काम को करते रहे। वहाँ से . और भी विशेष अध्ययन के लिए वे बनारस यशोविजय-देन पाठशाला में गये; पर तयित के कारण वे वहां विशेष रह न सके। वहाँ से वापिस -Page Navigation
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