Book Title: Sanskrit Prakrit Hindi Evam English Shabdakosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (vi) धनंजय : धनंजयनाममाला - इनका समय नौवीं, कोई दशवीं शताब्दी है। इसमें 200 श्लोक हैं। इस कोश के अध्ययन से संस्कृत का शब्द भण्डार बढ़ता है। इनकी निम्न रचनाएँ हैं - 1. अनेकार्थ नाममाला, 2. राधवपांडवीय, 3. विषापहार स्तोत्र, 4. अनेकार्थ निघण्ट्र।। आचार्य हेमचन्द्र : अभिधानचिंतामणिनाममाला - इसमें शब्दानुशासन के समस्त अंगों की रचना है। इस कोश की रचना 'अमरकोश' के समान हैं। यह कोश रूढ, यौगिक और मिश्र एकार्थक शब्दों का संग्रह है। क्र० सं० काण्ड श्लोक विषय 68 1. देवाधिदेव काण्ड 2. देवकाण्ड 3. मर्त्य काण्ड 250 597 24 तीर्थंकर तथा उनके अतिशयों के नाम। देवता तथा तत्सम्बन्धी वस्तुओं के नाम। मनुष्यों एवं उनके व्यवहार में आने वाले पदार्थों के नाम। पशु, पक्षी, जीव, जन्तु, वनस्पति, खनिज आदि के नाम। नरकवासियों के नाम। ध्वनि, सुगन्ध और सामान्य पदार्थों के नाम। 4. तिर्यक् काण्ड 423 5. नारक काण्ड 6. साधारण काण्ड 148 इस ग्रन्थ में कुल 1541 श्लोक हैं। अमरकोश से यह कोश शब्द सख्या में डेढ़ गुना बड़ा है। हेमचन्द्रसूरि की कृतियाँ - 1. अभिधानचिंतामणि, 2. अनेकार्थ संग्रह, 3. निघंटु संग्रह, 4. देशीनाममाला, 5. रयणावली। जिनदेव मुनि : शिलोंच्छ कोश - जिनरत्न कोश के अनुसार इनका समय सं० 1433 के आसपास है। यह कोश 140 श्लोक में निबद्ध है। ज्ञानविमलसूरि के शिष्य वल्लभ ने इस पर टीका लिखी है। सहजकीर्ति : नामकोश - सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी का यह कोश है। पद्मसुन्दर : सुन्दरप्रकाशशब्दार्णव - यह रचना वि० सं० 1619 की है। यह कोश शब्दों तथा उनके अर्थों की विशद विवेचना करता है। उपाध्याय भानुचन्द्रगणि : नामसंग्रह - इसी कोश के अन्य 'अभिधान नाममाला तथा विविक्त नाम संग्रह है। इसकी मुख्य रचनाएं - 1. रत्नपाल कथानक,' 2. कादम्बरी वृत्ति, 3. सूर्य सहस्रनाम, 4. वसन्तराज शाकुन वृत्ति, 5. विवेक विलास वृत्ति, 6. सारस्वत व्याकरण वृत्ति। हर्षकीर्तिसूरि : शारदीय नाममाला - शारदीयनाममाला में कुल 300 श्लोक हैं। इस कोश का नाम 'शारदीय अभिधानमाला' भी है। मुनि साधुकीर्ति : शेष नाममाला - खरतरगच्छीय मुनि साधुकीर्ति ने इस कोश ग्रन्थ की रचना की है। इन्हें अकबर के दरबार में शास्त्रार्थ में मर्मज्ञ विद्वान् माना गया। For Private and Personal Use Only

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