Book Title: Sanskrit Prakrit Hindi Evam English Shabdakosh Part 01
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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कर्मसिद्धान्त आदि अनेक ग्रन्थों का भी प्रणयन किया। यह कोश 20 वर्षों के सतत् अध्ययन के परिणामस्वरूप बना है।
बालचन्द्र जी सिद्धान्त शास्त्री : जैन लक्षणावली - इसमें 400 श्वेताम्बर दिगम्बर ग्रन्थों के पारिभाषिक शब्दों का संकलन है। जैन दर्शन के सन्दर्भ में एक ऐसे पारिभाषिक शब्दकोष की आवश्यकता एक ही स्थान पर वर्णानुक्रम से दार्शनिक परिभाषाओं को प्रस्तुत कर सके। इसके दो भाग क्रमशः 1972 और 1975 में प्रकाशित हुए हैं। इसकी पृष्ठ संख्या 750 है। तीसरा भाग भी है।
Mohanlal Mehta and K.R. Chandra: A Dictionary of Prakrit Proper Names में डॉ० मेहता ने Jaina Psychology, Jaina Culture, Philosophy आदि ग्रन्थों का प्रणयन किया।
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श्री वल्लभी छगनलाल कृत जै कक्को, एन० आर० कावड़िया कृत English Prakrit Dictionary, डॉ० भागचन्द्र जैन कृत विद्वद्विनोदनी आदि उल्लेखनीय है।
आप्टे संस्कृत हिन्दी शब्दकोश
आप्टे - संस्कृत अंग्रेजी शब्दकोश
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डॉ० शिवप्रसार भारद्वाज अशोक संस्कृत हिन्दी अंग्रेजी शब्दकोश प्र० अशोक प्रकाशन दिल्ली ऋषीश्वरनाथ भट्ट आधुनिक संस्कृत-हिन्दी कोश, राम प्रसाद एण्ड संस, आगरा
डॉ० उदयचन्द्र जैन कुन्दकुन्द शब्दकोश विवेकविहार दिल्ली छोटा पाकेट बुक साइज 1984 डॉ० उदयचन्द्र जैन प्राकृत हिन्दी शब्दकोश भाग 1, 2 न्यू भारतीय बुक कारपोरेशन, दिल्ली से प्रकाशित, 2005
डॉ० उदयचन्द्र जैन आ० ज्ञानसागर बृहद् संस्कृत हिन्दी शब्दकोश भाग 1, 2, 4 न्यू भारतीय बुक कारपोरेशन, दिल्ली से प्रकाशित, 2006
अब प्रस्तुत है डॉ० जैन का संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी और अंग्रेजी शब्दकोश एक वृहद् शब्दकोश । चार भाषाओं का शब्दकोश, सभी के लिए उपयोगी परिभाषाओं के मूल्यों को प्रतिपादन करने वाला शब्दकोश है। कोशकार ने एक से अधिक शब्दों के अर्थ, शब्द विश्लेषण, विवेचन एवं कुछेक परिभाषाओं से अलंकृत शब्द कोश है। यह इतिहास, पुराण एवं सामाजिक तथ्यों को प्रस्तुत करने वाला शब्द है। कोशकार ने अपने कोशकारें के प्रति पूर्ण रूप से सम्मान व्यक्त किया है। इसमें पुरा संस्कृति के शब्द भी हैं । वेद, पुराण, उपनिषद् आदि के साथ हैं इसमें जैन आगम एवं सिद्धान्त ग्रन्थों के शब्द भी । बौद्ध धारा के भी कुछ शब्द हैं। यह आपके लिए उपयोगी हो, साहित्य में रूचि जागृत हो ऐसी कामना है।' कहीं-कहीं अपभ्रंश के प्रयोग भी दिए गए हैं।
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डॉ० श्रीमती माया जैन