Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ oroccordeocacceso प्रवद. मयके संकलनमें निम्न प्रयोसे. सधन्यवाद सहायता प्रहण की गई है, जिनका उल्लेख निम्न संकेतरूपमें यथास्थान किया गया है: भध०= अशोकके धर्मलेख ' लेखक श्री० जनार्दन भर एम० ए० (काशी, सं० १९८०)। ___महिद भी हिस्ट्री ऑफ इन्डिया'-ले० सर विन्सेन्ट स्मिथ एम० ए० (चौथी आवृत्ति)। भशोक = अशोक' ले० सर विन्सेन्ट स्मिथ एम० ए० ।। आक: भाराधनाकपाकोप-२० नेमिदत्त (जनमित्र ऑफिस, बंबई २४४० वी० सं०)। ऑजी०= ऑीविक्स.'-भाग १-डॉ० वेनीमाधव बारुआ० डी. लिट् (कलकत्ता १९२०)। भास्०='भाचारात सूत्र- मूल. (श्वेताम्बर आगमपंथ).। . ऑदिहबॉक्सफर्ड हिस्ट्री ऑफ़ इन्डिया-विन्सेन्ट स्मिथ. एम० ए०। इंऐ इंडियन, ऐन्टीकरी' (त्रैमासिक पत्रिका)। . इरिई 'इन्सायक्लोपेडिया ऑफ रिलीजन एण्ड इथिक्म' हैदिराह। इसका इंडियन सेक. ऑफ दी बेन्स' बुल्हर । इंहिक्या 'इंडियन हिसटॉरीकल क्वार्टली-प्र० डॉ० नरेन्द्रनाथ लॉर कलकत्ता । उद०='वामगदखाओ मुत्त'-डॉ० हाणले (Bible. Indica) । . उप. व उ९ पु०- उत्तरपुराण-श्री गुणभद्राचार्य व पं० लालारामजी। उसू०'उत्तरायपन सत्र-वेताम्बरीय भागममय) जाल कान्टियर (उपपला.)

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 323