Book Title: Sanghpattak Author(s): Sanyamkirtivijay Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal View full book textPage 2
________________ नवाङ्गीवृत्तिकारश्रीअभयदेवसूरिशिष्य-कवीन्द्रचूडामणि श्रीजिनवल्लभसूरिविरचित-श्रीजिनपतिसूरिकृतबृहवृत्तिसमलङ्कृत-श्रीसाधुकीर्तिगणिनिर्मितावचूर्या विभूषितः श्रीलक्ष्मीसेनरचितटीकया समलङ्कृतः-उपाध्याय श्रीहर्षराज-गणिविहित लघुवृत्त्या सनाथीकृतश्च ॥ श्रीसङ्घपट्टकः ॥ • दिव्यकृपा . तपागच्छाधिराज पूज्यपाद आचार्यदेवेश श्रीमद्विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा सुविशाल गच्छाधिपति पू.आ.भ.श्री.वि.महोदयसूरीश्वरजी महाराजा सुविशाल गच्छनेता पू.आ.भ.श्री.वि.हेमभूषणसूरीश्वरजी महाराजा . पावन प्रेरणा . सौजन्यनिधि पू.आ.भ.श्री.वि.हर्षवर्धनसूरीश्वरजी महाराजा • संपादक. तपागच्छाधिराज पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद्विजय . रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के शिष्यरत्न समतानिधि ..पू. मुनिप्रवर श्रीदर्शनभूषणविजयजी म.सा. के शिष्यरत्न पू. पंन्यासप्रवर श्रीदिव्यकीर्तिविजयजी गणिवर्यश्री के शिष्यरत्न पू. पंन्यासप्रवर श्रीपुण्यकीर्तिविजयजी गणिवर्यश्री के शिष्यरत्न पू. मुनिराज श्रीसंयमकीर्तिविजयजी म.सा. . । शक .प्रकाशक. श्रीसम्यग्ज्ञानप्रचारकसमिति अहमदाबाद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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